भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ आदिवासियों को दिया गया एक वचन पूरा नहीं कर पाएंगे। अफसरों ने हाथ उठा दिए हैं। उनका कहना है कि इस वचन को पूरा करने के लिए बजट ही नहीं है और ना ही बजट का प्रावधान किया जा सकता है, क्योंकि इस योजना पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च होने वाला है।
आदेश जारी करके वापस ले लिए गए
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनता से मुख्यमंत्री कन्यादान-निकाह योजना की राशि बढ़ाने का वादा किया था। साथ ही आदिवासी समुदाय को एकल (घर से किए जाने वाले विवाह) विवाह के लिए सहायता की भी घोषणा की थी। पार्टी ने यह घोषणाएं अपने वचन पत्र में भी शामिल की थीं। सरकार बनते ही योजना की राशि में इजाफा कर दिया गया और सरकार ने एकल विवाह के लिए राशि देने के भी निर्देश जारी कर दिए थे, लेकिन अफसरों की समझाइश के बाद यह फैसला वापस ले लिया गया। पिछले दिनों विभाग ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं।
यह योजना बड़ी समस्या बन जाएगी
एकल विवाह के लिए सरकारी मदद देने के मामले में विभाग के अफसरों का अलग ही तर्क है। अफसरों का कहना है कि ऐसा करना बड़ी समस्या खड़ी कर देगा। विभाग का पूरा बजट इसी योजना पर खर्च हो जाएगा। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति अपनी बेटी की घर से शादी करेगा और उसके लिए सरकार से राशि मांगेगा। इसके चलते योजना में फर्जीवाड़ा होने की भी आशंका रहेगी।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत राज्य सरकार सामूहिक विवाह कार्यक्रम में युवती का विवाह करने वाले परिवार को 51 हजार रुपए की सहायता दे रही है। पिछली सरकार ऐसे परिवारों को 25 हजार रुपए सहायता दे रही थी।