BHOPAL FRACTURE HOSPITAL सेवा में कमी का दोषी, आम आदमी ने बिना वकील केस लड़ा

Bhopal Samachar
भाेपाल। राजधानी का प्रख्यात अस्पताल BHOPAL FRACTURE HOSPITAL | भोपाल फ्रैक्चर हॉस्पिटल सेवा में कमी का दोषी पाया गया है। उपभोक्ता फोरम ने अस्पताल प्रबंधन एवं बीमा कंपनी को आदेशित किया है कि वो पीड़ित आवेदक को 6 लाख रुपए हर्जाना अदा करें। उल्लेखनीय यह है कि कंज्यूमर कोर्ट में पीड़ित ने खुद बिना वकील के लड़ाई लड़ी जबकि अस्पताल और बीमा कंपनी की तरफ से पेशेवर सीनियर वकील सामने थे। फोरम की बेंच-2 के अध्यक्ष न्यायाधीश भारत भूषण श्रीवास्तव, ने सुनवाई की।

मामला क्या है

चित्रगुप्त नगर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग प्रमोद कुमार ने बताया कि 7 फरवरी 2013 को उनकी पत्नी आशा घर में फिसल गई थीं। फीमर बोन में फ्रेक्चर होने पर उन्हें फ्रेक्चर अस्पताल में भर्ती किया गया था। 11 फरवरी को ऑपरेशन के बाद जब आशा ने आंखें नहीं खोलीं ताे डॉक्टरों ने बताया कि शाम तक ठीक हो जाएंगी। रात 11 बजे उन्हें बताया गया कि आशा की हार्टअटैक से मौत हो गई है। आवेदक ने पीएम कराने कहा तो डॉक्टरों ने टाल दिया। 

वकीलों ने डराया, ज्यादा फीस मांगी

प्रमोद कुमार बताते हैं कि उन्होंने लापरवाह डॉक्टर्स को सबक सिखाने और मृत पत्नी को न्याय दिलाने की ठानी तो किसी वकील ने मोटी फीस मांगी तो किसी ने केस हारने की बात कहकर हताश किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद ही केस तैयार करके फोरम में पेश कर दिया। केस में जहां प्रमोद पत्नी की ओर से अकेले ही पक्ष रख रहे हैं तो अनावेदकों की ओर से सीनियर वकील पैरवी कर रहे थे। आखिरकार 6 साल तक केस चला इस दाैरान उन्हाेंने 80 से ज्यादा पेशी अटैंंड की। आखिरकार उनकी जीत हुई। 

फैसला क्या हुआ

बेंच ने अस्पताल प्रबंधन को महिला की मौत का जिम्मेदार मानते हुए आवेदक को 6% ब्याज के साथ 6 लाख रुपए हर्जाना राशि अदा करने के आदेश अस्पताल प्रबंधन और बीमा कंपनी को दिए हैं। चित्रगुप्त नगर निवासी प्रमोद कुमार परिवार ने 2013 में भोपाल फ्रेक्चर अस्पताल के संचालक एवं यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ परिवाद पेश किया था।

किताबें पढ़कर की तैयारी :

प्रमाेद बताते हैं कि उन्होंने लाइब्रेरियाें में जाकर पत्नी के इलाज से संबंधित मेडिकल और कानून की किताबें पढ़ीं। डॉक्टरों से मिलकर अस्पताल की लापरवाही के बारे में ठीक से समझा।

फाेरम में हमने भाेपाल फ्रेक्चर अस्पताल की ओर से पैरवी की थी। फाेरम ने उपभाेक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस प्रकरण के बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात करके अपील करेंगे। 
माेहन चाैकसे ,अधिवक्ता
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