भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मोदी-मोदी नारे लगाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोपियों के खिलाफ थाना कोतवाली में अपराध क्रमांक 145/19 धारा 147, 188 आईपीसी एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। आरोपियों के नाम कल्लू, घनश्याम, राजेश और पप्पू बताए गए हैं।
दिग्विजय सिंह की रैली में मोदी-मोदी नारे लगा रहे थे
दरअसल, आज भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह के समर्थन में कम्प्यूटर बाबा के नेतृत्व में साधु संतों की टोली एक रैली के रूप में निकली थी। इसी रैली के दौरान कुछ लोग सड़क किनारे खड़े होकर मोदी-मोदी नारे लगा रहे थे। ये लोग रैली का हिस्सा नहीं थे। कांग्रेस का आरोप है कि आयोजन मेें विध्न डालने एवं साधु संतों को भड़काने व चिढ़ाने के लिए षडयंत्रपूर्वक कुछ लोगों ने मोदी-मोदी नारे लगाए।
अपराध क्यों माना गया, धाराओं में क्या है
आईपीसी की धारा 147 से तात्पर्य संगठित होकर उपद्रव करना है। अपराध सिद्ध होने पर आरोपी को दो वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 188 से तात्पर्य ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट उत्पन्न करती हो या उसे नुक्सान पहुंचाती हो। अपराध सिद्ध होने पर छह मास कारावास या एक हजार रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127
यदि कोई व्यक्ति राजनीतिक आमसभा में बाधा डालने के उद्देश्य से कोई उपद्रव करता है अथवा ऐसा करने के लिये दूसरे को उकसाता है तो उसे 6 माह तक के कारावास या/एवं 2000 रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय है। यह धारा निर्वाचन अधिसूचना की दिनांक से विवेचना दिनांक के मध्य की अवधि में आयोजित होने वाली राजनीतिक सभाओं के संबंध में ही लागू होगी।