भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक एवं गुरूजी से नियुक्त होकर अध्यापक बने कर्मचारियों को एक बार फिर वेतन अनुमोदन कराने का आदेश जारी हुआ है। लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) नव नियुक्त राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त पूर्व अध्यापक संवर्ग के छठवें वेतनमान के वेतन निर्धारण का अनुमोदन जिला पंचायतों के लेखा अधिकारियों से करवाने के निर्देश जारी किए हैं लेकिन कई अध्यापक इससे नाराज हैं। उनका कहना है कि वेतन अनुमोदन तो 6वें वेतनमान के समय कराया ही जा चुका है। फिर से अनुमोदन क्यों कराया जा रहा है।
अध्यापकों को छठवें वेतनमान में वेतन निर्धारण के लिए पूर्व में जारी आदेश सात जुलाई 2017 में भी यह शर्त थी कि वेतन निर्धारण का अनुमोदन जिला पंचायत के लेखा अधिकारी से कराया जाए। इसके परिपालन में वेतन निर्धारित किया गया था। अध्यापक संघ का मानना है कि जब एक बार वेतन निर्धारण हो चुका तब पुनः निर्धारण की आवश्यकता क्यों पड़ी। अध्यापक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पदों से शिक्षा विभाग विभिन्न पदों में नियुक्त होकर विभाग परिवर्तन हुआ है। ऐसी स्थिति में नए विभाग में नवीन पद धारित किया है। अतः उस पद के लिए देय वेतनमान में वेतन निर्धारण नियमानुसार करना ही पड़ता है।
दरअसल, अध्यापक संवर्ग और राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति पर देय वेतनमान समान है। अतः वेतन कम या अधिक होने की स्थिति में कई परिस्थितियां बन गई थी। अध्यापक संघ के प्रदेश संयोजक उपेन्द्र कौशल ने बताया कि जब छठवें वेतनमान के समय अनुमोदन कराया गया। अब शासन को पुनः अनुमोदन की आवश्यकता क्यों पड़ी। इससे यह साबित होता है कि पूर्व में दिए गए वेतनमान विसंगतिपूर्ण है, जबकि अध्यापक संघ शुरू से ही विद्यमान वेतनमान के आधार पर ही वर्तमान वेतनमान का निर्धारण होना चाहिए। अब वर्तमान वेतनमान का निर्धारण होने से राज्य स्कूल शिक्षा सेवा कैडर में शामिल किए गए अध्यापकों को जिला कोषालय के माध्यम से जुलाई 2018 से मिलने वाला सातवां वेतनमान में विसंगति होने के चांसेस कम है।