नई दिल्ली। 2014 की तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी टीम की रणनीतियां पूरी तरह से सटीक और सफल रहीं। यह चौंकाने वाली बात है कि सरकार आम जनता का ध्यान खींचने में सफल हो गई जबकि विपक्ष सरकार की कमियां ही नहीं गिना पाया। भारत के इतिहास में यह पहली बार है जब सरकार के समर्थन में इतनी बंपर वोटिंग हुई और यह सबकुछ हुआ पीएम मोदी की 5 रणनीतियों के कारण।
राष्ट्रवाद को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया
ऑपरेशन बालाकोट के बाद से पूरा चुनाव मुद्दों के बजाए राष्ट्रवाद के आसपास सिमट गया। पीएम मोदी ने बड़ी ही शांति के साथ राष्ट्रवाद को देश का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया। भाजपा को प्राप्त कुल मतों का 35 प्रतिशत इसी मुद्दे पर प्राप्त हुआ। कांग्रेस इस मुद्दे पर ना तो लड़ पाई और ना ही मुद्दे को मोड़ पाई। हालात यह बने कि कांग्रेस लोगों को इतना भरोसा भी नहीं दिला पाई कि यदि उनकी सरकार आएगी तो नागरिक सुरक्षित रहेंगे। दुश्मन को इसी तरह जवाब दिया जाता रहेगा।
'TINA' फैक्टर काम कर गया
बीजेपी ने इस चुनाव में विपक्ष में पीएम मोदी की तुलना में किसी और विकल्प का मुद्दा भी जमकर उठाया। वहीं कांग्रेस की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी विपक्ष के साथ आम सहमति बनाने में नाकामयाब रहे और पूरे चुनाव में पीएम मोदी के मुकाबले एक सर्वमान्य नेता कोई नहीं बन पाया। यानी पीएम मोदी के आगे There is No Alternative (TINA) फैक्टर ने भाजपा को काफी फायदा दिया। कांग्रेस इस रणनीति को भी समझ ही नहीं पाई।
राफेल के मुद्दे पर आक्रामक रणनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो सालों से राफेल को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। राहुल गांधी की ओर से 'चौकीदार चोर है' जैसे भी नारे लगाए गए लेकिन पीएम मोदी ने भी उसी अंदाज में 'मैं हूं चौकीदार' अभियान चलाया। इस तरह भाजपा ने राफेल मुद्दा कांग्रेस के हाथ से नीचे गिरा दिया। इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इसी जुड़े एक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ गई। यह भी कांग्रेस के लिए भारी नुक्सानदायक और भाजपा के लिए फायदे की बात रहीं।
इस बार महंगाई, मुद्दा नहीं बन पाई
इस चुनाव की खास बात यह रही कि राहुल गांधी 'चौकीदार चोर है' में ही उलझे रहे। कांग्रेस के रणनीतिकार जनता का ध्यान महंगाई की तरफ मोड़ ही नहीं पाए। साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार के सामने महंगाई को एक बड़ा मुद्दा बना दिया था। मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर खास रणनीति का उपयोग किया। चुनाव के कुछ महीनों पहले से ही महंगाई कम होना शुरू हो गई थी। लोग राहत में थे।
उज्जवला, किसान निधि और घर-शौचालय
बीजेपी सरकार की जीत में इन योजनाओं का भी बड़ा असर हुआ है। चुनाव से पहले ही 2-2 हजार रुपये की दो किश्त किसानों के खाते में जा चुकी थी और पूरे पांच साल मोदी सरकार ने जो स्वच्छता अभियान शुरू किए उसी के तहत मिलने वाले शौचालयों को चर्चा गांव-गांव हो रही है। दूसरी ओर उज्जवला योजना की तरह कई लाख घरों में सिलेंडर भी पहुंचाए गए। माना जा रहा है कि इन योजनाओं का असर भी वोटरों पर पड़ा।