काल्पनिक बहादुरी से देश का नेतृत्व नहीं किया जा सकता: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा | NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो लोगों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। काल्पनिक बहादुरी (क्विकजॉटिक हीरोइज्म) से देश का नेतृत्व नहीं किया जा सकता।

'1% लोगों के पास देश की 60% संपत्ति'

एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवॉर्ड्स देने के दौरान प्रणब ने कहा, "देश से गरीबी दूर करने के लिए अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब भारत के महज 1% लोगों के पास देश की 60% संपत्ति है। ये आंकड़े बताते हैं कि हमारी ग्रोथ को और ज्यादा समावेशी बनाने की जरूरत है।"

26.9 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे

मुखर्जी के मुताबिक- 2005-06 के बाद के दशक में 27 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। देश में गरीबी की दर पिछली अवधि में करीब आधी हो गई है। यह एक सकारात्मक पक्ष है। 26.9 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं, यह चिंता की बात है।

लाभ के साथ रोजगार सृजन भी उद्देश्य हो

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा- फायदे के लिए जो लोग धन कमाते हैं, इसी के चलते असमानता पैदा होती है। उद्योगपतियों और नीति निर्माता केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि रोजगार सृजन और बड़ी संख्या में लोगों के लिए मौके मुहैया कराने के लिए आगे आएं।

समृद्ध और गौरवशाली राष्ट्र बनने के लिए और अधिक युवा चाहिए

प्रणब ने कहा- हमें अभी भी देश के हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करने की जरूरत है। हमें वास्तव में समृद्ध और गौरवशाली राष्ट्र बनने के लिए और अधिक युवा लोगों चाहिए। जबकि भारत ने संख्यात्मक पक्ष पर काफी तरक्की की है, जबकि गुणवत्ता के पहलू पर अभी भी बहुत काम करने की आवश्यकता है।

भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक- भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस वक्त भारत की इकोनॉमी 2.69 ट्रिलियन डॉलर की है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक- 2019-20 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.6% अनुमानित की गई है। मार्च में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में ग्रोथ 7.4% अनुमानित की गई थी।

आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्र अच्छा नहीं कर रहे

उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय फायदा तभी मिल सकता है जब देश में शिक्षा क्षेत्र का गुणात्मक विकास हो। इसके अतिरिक्त हमें कौशल विकास की गुणवत्ता बढ़ानी होगी। कई आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्र अपने ज्ञान-कौशल को अगली पीढ़ी तक नहीं ले जा रहे या अनुसंधान के जरिए से नए ज्ञान का सृजन नहीं कर रहे। इसे बदलने की जरूरत है।

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