कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे हत्याकांड का खुलासा: पढ़िए किसने और कैसे मारा था | INDORE MP NEWS

इंदौर। 16 अक्टूबर 2016 को हुई कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे की हत्या का अब जाकर खुलासा हुआ है। भाजपा सरकार के कारण यह हत्याकांड लगातार दबा हुआ था। पुलिस ने भाजपा नेता जगदीश करोतिया, उनके बेटे व ट्विंकल डागरे से लव मैरिज करने वाले अजय करोतिया, अजय के भाई विजय और विनय के खिलाफ हत्या का केस फाइल कर लिया है। अब इस मामले में तीन निगम कर्मचारियों की भी तलाश की जा रही है। एक पुलिस कांस्टेबल की भूमिका पर भी संदेह है। 

हाईकोर्ट की फटकार और सत्ता परिवर्तन के बाद हुआ खुलासा
हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए तीन महीने में ट्विंकल को पेश करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने जांच की तो पता चला कि ट्विंकल जिस दिन घर से लापता हुई थी, उस दिन उसका मोबाइल 12.50 बजे बंद हो गया था। वहीं, जगदीश के नौकर लखन व बंटी से पूछताछ की तो उन्होंने उसकी हत्या की बात कही थी। इसके बाद अजय से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया।

कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे हत्याकांड की पूरी कहानी
पुलिस के अनुसार भाजपा नेता जगदीश करोतिया के बेटे व पूर्व एल्डरमैन अजय करोतिया ने बताया, उसने ट्विंकल से मंदिर में प्रेम विवाह किया था, लेकिन पिता उसे चरित्रहीन मानते थे। अजय ने पुलिस को बताया कि 16 अक्टूबर 2016 को ट्विंकल घर से नाश्ता लेने जा रही थी। तभी उसका अपहरण कर घर ले गए और रात में उसकी हत्या कर दी। अगले दिन सुबह उसका शव कार में रखकर टिगरिया बादशाह इलाके में अगरबत्ती फैक्टरी के पास ले जाकर जला दिया था।

कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे के शव का क्या हुआ
अजय ने पुलिस को बताया कि वह और पिता जब शव जला रहे थे तो फैक्टरी के एक चौकीदार ने उन्हें देख लिया था। तब पिता ने उसे यह बोलकर भगा दिया था कि कुत्ता मर गया है, उसे जला रहे हैं। इस पर चौकीदार चला गया था। फिर नगर निगम के तीन कर्मचारियों से जले हुए स्थान पर कचरा डलवा दिया था। इसके बाद आग भी लगा दी थी। बाद में जले हुए कचरे को नाले में बहा दिया गया। उसमें ट्विंकल के शव के टुकड़े और अवशेष भी बह गए थे। वहीं, हत्या की बात मेरी मां को पता चली थी तो वह बेहोश हो गई थी। बाद में उसे उज्जैन के किसी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था।

भाजपा सरकार के कारण नहीं हुई मामले की जांच
पुलिस अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि भाजपा सरकार होने के कारण उनपर दवाब था। वो अपने तरीके से पूछताछ भी नहीं कर पा रहे थे। संदिग्धों को हिरासत में लेने तक की अनुमति नहीं मिल रही थी। 
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