MP में कोई भी पार्टी 116 पर भी सरकार नहीं बनाएगी, ये है बड़ा कारण | ELECTION NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल ने दोनों पार्टियों को 115 के आसपास रखा है। मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 116 विधायक चाहिए, परंतु यहां कोई भी पार्टी 116 की संख्या पर भी सरकार नहीं बनाएगी। वो कम से कम 126 का आंकड़ा पसंद करेंगे। इसके लिए जो जरूरी होगा, शपथग्रहण से पहले ही कर लिया जाएगा। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है। 

क्या कारण है, 116 में क्या बुराई है


116 का अंक मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए अपशकुन नहीं है परंतु 21 सालों का इतिहास बताता है कि मध्यप्रदेश की नई विधानसभा में कुछ तो टंटा है। यहां हर साल किसी ना किसी विधायक की मौत हो जाती है। 2017 में तो 9 विधायकों की मौत हो गई थी। विधानसभा के वास्तु दोष को शांत करने के लिए हवन-पूजन का प्रयोग लगभग 20 साल पूर्व भी तत्कालीन अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने किया था। मध्य प्रदेश के विभाजन के लिए भी इस विधानसभा भवन को ही दोष दिया जाता है। 

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवान देव ईसराणी बताते हैं कि राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को हुआ। पंडित रविशंकर शुक्ल पहले मुख्यमंत्री बने। इसके दो महीने बाद 31 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। ईसराणी कहते हैं कि उस वक्त मुख्यमंत्री के निधन की घटना को स्वभाविक ही माना गया था। भवन में दोष नहीं देखा गया।

वर्ष 1996 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने विधानसभा के नए भवन का लोकार्पण किया। लोकार्पण के दिन से ही भवन के वास्तु दोष की चर्चा हो रही है। प्रारंभ में भवन में इंट्री के लिए बनाए गए गेट को दोष दिया गया। गेट दक्षिण दिशा का था। इसे बदलकर पूर्व दिशा की ओर किया गया। मगर विधायकों का असामयिक निधन फिर भी नहीं रूका।

इस भवन में विधानसभा बदलने के बाद अब तक एक विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और दो नेता प्रतिपक्ष सहित 32 विधायकों का निधन हो चुका है। सबसे ज्यादा 10 विधायकों का निधन 11वीं विधानसभा में यानी वर्ष 1998 से वर्ष 2003 के बीच हुआ था। इसके बाद के वर्ष 2003 से 2008 के बीच 5 साल में कुल 7 विधायकों का आकस्मिक निधन हुआ था।

यदि इसे ही किस्मत मान लिया जाए तो सरकार बनाने के लिए कम से कम 126 विधायकों की जरूरत होगी। यदि ऐसा नहीं किया तो सरकार हमेशा संकट में ही चलती रहेगी ओर यह रिस्क शायद कोई नहीं लेना चाहेगा।

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