तकनीकी शिक्षा में खरीदी घोटाला: CM KAMAL NATH के पास पहुंची शिकायत | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के 21 पॉलीटेक्निक और कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक को 12 करोड़ रुपए विकास के लिए दिए गए थे। इसमें 2 करोड़ रुपए की सामग्री क्रय की जानी थी। इसी खरीदी में घोटाला सामने आया है। आरोप है कि वीरेंद्र कुमार, डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने प्राचार्यों पर दवाब बनाया कि वो उनके द्वारा निर्धारित वेंडर/ऐजेंसी से खरीदी करें। आरोप यह भी है कि तत्कालीन मंत्री दीपक जोशी के कहने पर यह सबकुछ किया गया। अब दोनों ही जिम्मेदार अपना बचाव कर रहे हैं। 

पत्रकार दीपक विश्वकर्मा की रिपोर्ट के अनुसार पहला मामला 21 नए पॉलीटेक्निक निर्माण के लिए जो राशि दी गई थी उसमें से भवन निर्माण के अलावा उपकरण, पुस्तकें और फर्नीचर खरीदे जाने थे, लेकिन एक ही बैठक कर खरीदी निर्धारित वेंडर से कराने के आदेश जारी कराए गए। वहीं दूसरा मामला इंजीनियरिंग कॉलेजों में साफ्टवेयर खरीदी का है। इसमें एक ही कंपनी से एक ही कीमत के साफ्टवेयर खरीदे गए। जबकि नियमों के अनुसार एक ही कंपनी के साफ्टवेयर नहीं खरीदे जाने थे। 

साफ्टवेयर की कीमत भी डायरेक्टर ने स्वयं ही निर्धारित कर दी। यह साफ्टवेयर न खरीदने पर प्राचार्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी भी दी गई है। इस बात के प्रमाण नवदुनिया के पास मौजूद हैं। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से की गई है और स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है।

वीरेंद्र कुमार, डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा संचालनालय का बयान 
इधर मामला उजागर होने के बाद डायरेक्टर ने पत्रकार दीपक विश्वकर्मा को बताया कि 15 सितंबर 2017 को शाम 4 बजकर 23 मिनट पर तत्कालीन मंत्री दीपक जोशी के साथ बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में मंत्री ने जैसे निर्देश दिए मैंने वैसा ही किया। मैंने अपने मन से कोई आदेश नहीं जारी किया और ना ही किसी प्राचार्य पर दबाव डाला। इधर मामले पर तत्कालीन मंत्री बोले कि मैंने तो फंड का जल्द से जल्द उपयोग करने कहा था ना कि प्राचार्यों पर दबाव डालने।

दीपक जोशी, पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री का बयान
डायरेक्टर को मैने टेक्यूप का फंड उपयोग करवाने के लिए कहा था,किसी पर दबाव डालने के लिए नहीं। प्राचार्य टेक्यूप-3 का पैसा उपयोग नहीं कर रहे थे। इस स्थिति में केंद्र सरकार से मिली राशि लैप्स हो जाती।

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