नई दिल्ली। भारत के 4 राज्यों के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव के बीच यह एक बड़ी खबर है। भारत के खुले बाजार में पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार गिरावट दर्ज हुई। आम जनता को लगता है कि चुनाव के दवाब में सरकार दाम गिरा रही है परंतु ऐसा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार (INTERNATIONAL MARKET) में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले एक माह से लगातार दाम गिर रहे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि चुनाव का दवाब होने के बावजूद सरकारों ने जनता को इसका पूरा फायदा नहीं दिया बल्कि केवल 7 से 11 प्रतिशत दाम कम किए।
अक्टूबर से अबतक घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत 7-11 फीसदी लुढ़क चुके हैं वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान कच्चा तेल 25-30 फीसदी गिर चुका है। आंकड़ों के मुताबिक 3 अक्टूबर को एक बैरल कच्चा तेल 87 डॉलर था जो बीते हफ्ते 60 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गया है। कच्चे तेल की कीमत में यह गिरावट ईरान से तेल खरीदने के प्रतिबंध में कुछ देशों को अमेरिका द्वारा मिली छूट और अमेरिका समेत रूस और साउदी अरब द्वारा अधिक उत्पादन के चलते हुई है। खासबात है कि दुनियाभर में पेट्रोल-डीजल की कीमत को निर्धारित करने के लिए अहम सिंगापुर बेंचमार्क पर इस दौरान पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 26 और 25 फीसदी क्रमश: कटौती दर्ज हुई है।
भारतीय खुले बाजार में बीते एक हफ्ते से पेट्रोल और डीजल की कीमत में रोज कटौती हुई है। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में सोमवार को पेट्रोल के भाव क्रमश: 74.49 रुपये, 76.47 रुपये, 80.03 रुपये और 77.32 रुपये प्रति लीटर दर्ज किए गए। वहीं डीजल की कीमतें क्रमश: 69.29 रुपये, 71.14 रुपये, 72.56 रुपये और 73.20 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गईं।
In international market
तीन अक्टूबर के बाद ब्रेंट क्रूड के दाम में 30 फीसदी से ज्यादा जबकि अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई के भाव में करीब 33 फीसदी की कमी आई है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड का जनवरी डिलीवरी वायदा सोमवार को पिछले सत्र के मुकाबले 0.46 फीसदी की बढ़त के साथ 59.26 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था। वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज यानी नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई का जनवरी डिलीवरी वायदा अनुबंध 0.48 फीसदी की बढ़त के साथ 50.66 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था।