व्हिसल ब्लोअर हिमांचली मिश्रा ने सबूत पेश किए, निशक्तता प्रमाण पत्र घोटाला | MP NEWS

ग्वालियर। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब है जान का जोखिम। सरकार की मदद करने वालों को सरकार संरक्षित नहीं करती जबकि घोटाला करने वाले मामले को दबाने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। बावजूद इसके इंजीनियरिंग छात्रा ने निशक्तता प्रमाण पत्र के फर्जीवाड़े का स्टिंग आॅपरेशन किया और अब लोकायुक्त पहुंचकर सबूत भी सौंपे। 


बीते रोज हिमांचली मिश्रा गुरुवार को लोकायुक्त कार्यालय पहुंची और लिखित में उस नोटिस का जवाब दिया, जो लोकायुक्त कार्यालय से उन्हें जारी किया गया था। लोकायुक्त कार्यालय द्वारा बयान और सबूत देने के लिए नोटिस जारी किया गया था। हिमांचली मिश्रा ने अपने जवाब में लोकायुक्त एसपी, निरीक्षक आराधना डेविस और उनके स्टाफ पर सहयोग न करने का आरोप भी लगाया है। 

क्या है मामला 
पूरे गिरोह को एक इंजीनियरिंग छात्रा हिमांचली मिश्रा ने सिलसिलेवार तरीके से स्टिंग कर एक्सपोज किया है। हिमांचली खुद कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुईं। वे सफल भी हुईं लेकिन चयन सूची में उनका नाम नहीं आया। उन्होंने चयन सूची की पड़ताल की तो पता चला कि उनसे कम नंबर आने पर भी कई उम्मीदवारों का चयन निशक्त कोटे से हो गया। उन्होंने आरटीआई में पटवारी और सब इंजीनियर के पद पर चयनित उम्मीदवारों की सूची हासिल की। वे निशक्त कोटे से चयनित उम्मीदवारों की पड़ताल करने उनके घर तक पहुंचीं। पता चला कि इनमें से कई उम्मीदवार पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्होंने फर्जी निशक्त प्रमाण-पत्र बनवाए थे। इसी आधार पर उनका चयन हुआ था। बस, यहीं से हिमांचली ने भी फर्जी निशक्त प्रमाण-पत्र बनवाने की ठानी। वे गिरोह तक पहुंच गईं। खुद दलालों से बातचीत का स्टिंग भी किया। सारे सबूत जुटाने के बाद इस गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए उन्होंने लोकायुक्त पुलिस की मदद ली लेकिन इस बीच गिरोह के सदस्यों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने हिमांचली की मदद करने से इनकार कर दिया। 

छापे से पहले सूचना लीक 
हिमांचली बताती हैं- मैं 6 सितंबर को लोकायुक्त एसपी अमित सिंह से मिली। उन्होंने 10 सितंबर को मुझे ऑडियो रिकॉर्डर देकर कांस्टेबल इंद्रभान परिहार के साथ मोनू सोनवीर गुर्जर के पास भेजा। मैंने रिकॉर्डिंग करके उन्हें दी। अगले दिन टीआई आराधना डेविस के साथ रैकेट को पकड़ने की तैयारी शुरू की। केमिकल लगे नोट भी तैयार किए लेकिन आराधना मैडम कोर्ट ड्यूटी में खुद को व्यस्त बताकर ऑफिस से चली गईं। बाद में एसपी भी कोई ठोस सबूत न होने की बात कहने लगे। 
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