झाबुआ। आदिवासी क्षेत्र झाबुआ में बिजली कंपनी ने सीएम शिवराज सिंह का प्रचार किया है। यहां बिजली बिलों पर विशेष रूप से दर्ज किया गया है कि मुख्यमंत्री बिजली बिल माफी योजना के तहत कितनी राशि माफ की गई। बता दें कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है। पेटलावद एसडीएम हर्षल पंचाेली ने अपने क्षेत्र में शनिवार को बिजली बिलों पर मुख्यमंत्री बिजली बिल माफी योजना के प्रचार को आचार संहिता का उल्लंघन मान कर वितरण रुकवा दिया था।
बिल आचार संहिता से पहले प्रिंट हो गए थे: कंपनी अधिकारियों ने कहा
शनिवार शाम तक बिलों का वितरण रुकवा कर बैठे बिजली कंपनी के अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेने के बाद वितरण फिर चालू करवा दिए हैं। उनका कहना है-बांटे जा रहे बिल आचार संहिता लगने के पहले प्रिंट हो चुके थे, जो आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में नहीं आता।
मेघनगर में भी बंटे हैं बिजली बिल
शनिवार को बिजली कंपनी के अफसरों ने दावा किया था कि केवल पेटलावद में ही बिल बंटे थे, जिनका वितरण सूचना मिलते ही रुकवा दिया गया लेकिन ऐसा नहीं है। जिले के अन्य स्थानों पर भी बिलों का वितरण शुरू हो गया था। मेघनगर में भी बिल बंट गए हैं। मेघनगर सर्कल के 21000 बिल बंटते हैं, इनमें से 2800 बिल शनिवार को सूचना मिलने तक बंट चुके थे। झाबुआ में भी बिल बंटना शुरू हो गए।
1 जुलाई के बाद से आ रहे हैं इस तरह के बिल
जिले में सरल योजना के तहत 144264 उपभोक्ता है। इन्हें 200 रुपए महीना का बिल जारी किया जाता है। इसके ऊपर जितनी बिजली जलाई जाती है उसका बिल सरकार सब्सिडी देकर माफ कर देती है। जिले में 155600 उपभोक्ताओं का जून 2018 तक का बिल मुख्यमंत्री बिजली बिल योजना के तहत माफ किया गया था। 1 जुलाई के बाद से 200 रुपए महीना बिल इन्हें दिया जा रहा है। शेष राशि जो माफ की जाती है, उसका उल्लेख बिल में यह लिख कर किया जाता है कि मुख्यमंत्री बिजली बिल माफी योजना के तहत माफ की गई है।
उल्लंघन है या नहीं, चुनाव आयोग से पूछेंगे: कलेक्टर
आशीष सक्सेना, कलेक्टर झाबुआ का कहना है कि पेटलावद एसडीएम ने समझाइश दी, बिजली कंपनी के अधिकारियों ने मान लिया और बिल चेंज कर रहे हैं। जब बिजली कंपनी के अधिकारियों ने मान लिया है तो आचार संहिता का उल्लंघन है या नहीं, यह तो बात ही खत्म हो गई है। कार्रवाई करना है या नहीं, इसके बारे में चुनाव आयोग से पूछेंगे।
निर्वाचन आयोग के निर्देश स्पष्ट है, कोई असमंजस नहीं है: एसडीएम
हर्षल पंचाेली, एसडीएम पेटलावद का कहना है कि मुझे निर्वाचन आयोग के निर्देश स्पष्ट है। कोई असमंजस नहीं है। इसमें कहा गया है किसी भी योजना का प्रचार-प्रसार सरकारी दस्तावेज पर नहीं किया जा सकता। बिजली कंपनी के अफसर मार्गदर्शन मांग रहे हैं, वे मांगे, मुझे तो स्पष्ट है, इसलिए मैंने बिल रुकवा दिए हैं। यह बिजली कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह यह सबकुछ बिल बंटने के पहले देखता। बिल में सीधे काटी गई राशि लिख तो मुख्यमंत्री बिजली माफी योजना में कटा है, यह लिखने की क्या जरूरत है। बिल फिर से छप कर आएंगे, मैं एप्रूव करूंगा, उसके बाद बंटेंगे।
ऐसे बिल पूरे मप्र में बंट रहे हैं: बिजली कंपनी
ब्रजेश यादव, डीई बिजली कंपनी झाबुआ का कहना है कि कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन मिला है। जिन बिलों की जनरेट होने की दिनांक आचार संहिता के पूर्व की है, वे बिल पुराने फाॅर्मेट में छप कर आए हैं, जिन्हें बांटने के निर्देश मिले हैं। ऐसे बिल पूरे मप्र में बंट रहे हैं। आचार संहिता के बाद जनरेट होने वाले बिलों में फाॅर्मेट बदल दिया गया है।
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