रमेश पाटिल। यदि भूले नहीं होगे तो शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के नियुक्ति का जिम्मा शासन द्वारा जनपद पंचायतों को सौंपा गया था। इसके लिए शासन द्वारा आवेदन मंगाने से लेकर चयन सूची जारी करने तक का विधिवत कार्यक्रम डाला था। अधिकांश जनपद पंचायतों द्वारा शासन द्वारा घोषित कार्यक्रम शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के चयन का पालन न करते हुए मनमर्जी से अपनी सुविधानुसार चयन सूची जारी की थी। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि अध्यापक संवर्ग में संविलियन होने के पश्चात जब बडी मुश्किल से पदोन्नति की बारी आई तो कहा गया कि सहायक अध्यापकों की जिलावार #संदर्भ_सूची बनेगी और संदर्भ सूची की वरिष्ठता के अनुसार ही पदोन्नति होगी। शासन द्वारा घोषित कार्यक्रमानुसार शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की चयन सूची जिन जनपद पंचायतों ने घोषित कर दी थी वे जिलेवार पदोन्नति हेतु बनी संदर्भ सूची में वरिष्ठ हो गए और जिन जनपद पंचायतों ने शासन के शिक्षा कर्मी वर्ग 3 चयन के लिए बने कार्यक्रम की जितनी ज्यादा अवहेलना की थी वे सब संदर्भ सूची में सहायक अध्यापक उतने ही कनिष्ठ हो गए। परिणाम यह हुआ कि प्रथम पदोन्नति में किसी-किसी जनपद पंचायत के समस्त सहायक अध्यापकों को पदोन्नति का अवसर पहले मिल गया और लापरवाह जनपद पंचायतों के द्वारा चयनित शिक्षाकर्मी वर्ग 3 जो कि वर्तमान में सहायक अध्यापक कहलाता है अभी भी पदोन्नति की बाट जोह रहा है।
अधिकारियों की गलती का दंड अभी भी सहायक अध्यापक भुगत रहे हैं लेकिन स्मरण नहीं आता कि इतनी बड़ी गलती के लिए किसी *मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत* को दंड दिया गया हो। दूसरा प्रश्न आज भी अनुत्तरित है कि शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की भर्ती जनपद पंचायतों द्वारा की गई थी तो केवल उन्हें ही जिलेवार संदर्भ सूची बनाकर पदोन्नति का प्रावधान क्यों रखा गया।जनपद पंचायतवार पदोन्नति क्यो नही दी गई? जबकि नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम,अनुसूचित जनजाति विभाग एवं जिला पंचायत द्वारा भर्ती शिक्षाकर्मीयो एवं बाद में संविदा शाला शिक्षकों की पदोन्नति उनके ही नियुक्तिकर्ता क्षेत्राधिकार में ही हुई है।
सवाल यह है कि किसी शोषित ने इस अन्याय के विरुद्ध न्याय का दरवाजा आज तक खटखटाया है? ऐसा ही अब जिला पंचायत द्वारा नियुक्त शिक्षाकर्मी वर्ग 1, 2 एवं संविदा शाला शिक्षक वर्ग 1, 2 के साथ भी होगा। माध्यमिक शिक्षा की वरिष्ठता सूची संभाग स्तर पर और उच्च माध्यमिक शिक्षक की वरिष्ठता सूची प्रदेश स्तर पर बनना है। जिन जिला पंचायतो के अधिकारियों ने शासन द्वारा घोषित शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक नियुक्ति कार्यक्रम की अवहेलना की थी। उस का दंड अब नियमित कैडर चयन करने वाले माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षक को भुगतना होगा वो वरिष्ठता सूची में वे फिसड्डी रह जाएंगे जिससे पदोन्नति में गतिरोध पैदा होगा।
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