ये कैसा विरोध/ कमलनाथ ने साइकिल नहीं चलाई, पदाधिकारियों के हाथों भिजवाई | BHOPAL MP NEWS

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह के विरोध में ज्यादातर लोग कमलनाथ पर ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं परंतु कमलनाथ की राजनीति करने का तरीका, मध्यप्रदेश की पारंपरिक राजनीति से काफी अलग है। आज फिर वही दिखाई दिया। पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि के विरोध में कमलनाथ ने साइकिल नहीं चलाई, बल्कि पदाधिकारियों को हाथों सीएम शिवराज सिंह के लिए भिजवाई। कमलनाथ विरोध प्रदर्शन में शामिल भी नहीं हुए जबकि वो भोपाल में थे। 

इससे पहले भी कमलनाथ ने उज्जैन में भगवान महाकाल को चिट्ठी अपने दूतों के हाथों से भिजवाई थी, खुद नहीं गए थे। ज्यादातर मामलों में कमलनाथ खुद नहीं जाते। वो अपने पदाधिकारियों का उपयोग करते हैं। आज भी उन्होंने कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल एवं विधायक आरिफ अकील के साथ कुछ कार्यकर्ताओं को साइकिल लेकर भेजा। प्रदर्शनकारी गए और साइकिल जमा कराकर लौट आए। मानो एक औपचारिकता थी जो पूरी कर दी गई। 

तो क्या पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि का समर्थन करते हैं कमलनाथ
प्रदर्शनकारियों को विदा करते हुए कमलनाथ ने कहा कि आज आप जनता की आवाज उठाने जा रहे हैं। शिवराजसिंह को प्रतीक स्वरूप जो साइकिल भेंट की जा रही है वह उनको उस दिन की याद दिलायेगी, जब वे मनमोहन सिंह सरकार के समय पेट्रोल-डीजल का थोड़ा सा दाम बढ़ने पर साइकिल लेकर वल्लभ भवन तक गये थे और कहा था कि सप्ताह में एक दिन मैं साइकिल से सचिवालय जाऊंगा। 
सवाल यह है कि क्या कमलनाथ यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि मनमोहन सिंह के समय जो दाम बढ़े थे वो सही थे। पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि उचित है। शिवराज सिंह ने विरोध किया था इसलिए उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि से राहत दिलाना इसका मकसद नहीं है ? 

तब शिवराज ने चलाई थी अब कमलनाथ को चलाना चाहिए
सीधी सरल बात तो यह है कि मनमोहन सिंह सरकार के समय भाजपा विपक्ष में थी। सीएम के पद पर रहते हुए शिवराज सिंह ने पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि का विरोध किया था। अब यह जिम्मेदारी कांग्रेस पर है। कमलनाथ तो सीएम भी नहीं हैं। उन्हे साइकिल चलाकर प्रदर्शन को सुर्खियों में लाना चाहिए। यदि कमलनाथ साइकिल चलाते तो हर टीवी चैनल पर यह खबर चल रही होती, सरकार पर दवाब बनता। इस औपचारिकता से क्या जताना चाहते हैं कमलनाथ। 
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