पढ़िए आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहां अनिवार्य, कहां नहीं AADHAAR | NATIONAL NEWS

NEW DELHI: आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को कुछ शर्तों के साथ संवैधानिक करार दिया है। पांच जजों की पीठ ने आधार के पक्ष में 4-1 से फैसला सुनाया। जस्टिस एके सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम खानविलकर की ओर से अपना फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है, इस पर हमला संविधान के खिलाफ है।

फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना संविधान पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है।

SCHOOL में एडमिशन के लिये आधार जरूरी नहीं 

फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी बोले कि आधार बनाने के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है वो काफी कम है, उसके मुकाबले जो इससे फायदा मिलता है वो काफी ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार ना होने की स्थिति में किसी व्यक्ति को अपने अधिकार लेने से नहीं रोका जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट के जज बोले कि CBSE, NEET, UGC अगर आधार को जरूरी बनाते हैं तो ये गलत है वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि मोबाइल नंबरों और बैंक खातों से जोड़ना आधार कार्ड होना गैर संवैधानिक है।कोर्ट ने स्कूलों में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है।

आधार INCOME TAX और PANCARD के लिए अब भी जरूरी

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड जरूरी है, सरकार ने आधार कार्ड के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो. कोर्ट ने कहा कि निजी कंपनियां अब आधार कार्ड नहीं मांग सकती हैं।

जस्टिस एके सीकरी के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि आधार एक्ट को किसी मनी बिल के तौर पर नहीं पास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड ना दें ।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार कार्ड निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है, इससे आदमी और वोटर्स की प्रोफाइलिंग हो सकती है।

आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली। आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही है। हालांकि, आधार पर सुनवाई की शुरूआत 2012 में हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आधार पर इस मामले को सुना था।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।

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