INDORE: चोरी का साहित्य रोकने के लिए यूजीसी के नए नियम पर जुलाई 2018 में मोहर लग चुकी है। इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। PHD थीसिस में 60 फीसदी चोरी का कंटेंट मिलने पर शोधार्थी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा, वहीं फैकल्टी तीन साल तक गाइड नहीं बन सकेंगे। उच्च शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने इसी सत्र से यह अहम कदम उठाया है। अब पीएचडी थीसिस, रिसर्च पेपर, किताब, डेजरटेशन समेत अन्य शैक्षिणक साहित्य में चोरी के साहित्य (कंटेंट) को सजा के दायरे में लाया गया है।
जनवरी 2017 में यूजीसी ने प्लेजरियम पकड़ने के लिए विशेष तरह का सॉफ्टवेयर बनाया था। शुरुआती दिनों में यूजीसी ने 30 फीसदी तक थीसिस में अन्य पीएचडी के कंटेंट को मान्य किया था, मगर सालभर बाद नियमों में संशोधन कर दिया। अब सिर्फ 10 फीसदी चोरी के कंटेंट को सामान्य माना है। इसके ऊपर मिलने पर सजा निर्धारित की गई है, जो शोधार्थी के लिए अलग है और गाइड के लिए अलग रखी गई है।
थीसिस को जमा करने से पहले प्लेजरियम की जांच सॉफ्टवेयर के जरिए करवाई जाएगी। उसकी रिपोर्ट में चोरी के कंटेंट का उल्लेख होता है तो तुरंत पहले विभाग स्तर पर जांच होगी। इसका जिम्मा विभागाध्यक्ष को दिया है, जिसमें कमेटी बनाकर रिपोर्ट देना है। उसके आधार पर विश्वविद्यालय अपनी कमेटी बनाएगा। फिर सजा तय की जाएगी।
10 फीसदी से कम मिलने पर इसे सजा के प्रावधान से बाहर रखा है। थीसिस में 40 फीसदी कंटेंट चोरी का मिलने पर छह महीने में उतना काम दोबारा करना होगा। उन्हें थीसिस वापस लेने को कहा जाएगा।
क्या थीसिस में 40 फीसदी कंटेंट चोरी का पाए जाने पर सालभर में उतनी रिसर्च दोबारा करना होगी।
थीसिस वापस लेने को कहा जाएगा। एक वेतनवृद्धि रोकी जाएगी। दो साल तक नए शोधार्थियों का गाइड नहीं बनाया जाएगा।
60 फीसदी से ऊपर क्या ऐसे प्रकरण में शोधार्थी का पीएचडी रजिस्ट्रेशन कैंसल किया जाएगा।
थीसिस वापस लेने को कहा जाएगा। 2. दो साल की वेतनवृद्धि रोकी जाएगी। 3. तीन सालों के लिए किसी भी शोधार्थी का सुपरवाइजर नहीं बनाया जाएगा, जिसमें एमफिल और पीएचडी कोर्स शामिल होंगे।