मध्यप्रदेश में चल रहा है फर्जी सरकारी प्रेस कार्ड बनाने का धंधा | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में फर्जी सरकारी प्रेस कार्ड बनाने के काले धंधे का खुलासा हुआ है। इंदौर में एक फर्जी सरकारी प्रेस कार्ड पकड़ा जा चुका है। विभाग ने पुलिस से शिकायत की है कि धारक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। यह सरकारी दस्तावेज की कूटरचना का मामला है। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के फर्जी सरकारी प्रेस कार्ड कई लोगों के पास हैं। ये मात्र 2500 रुपए में उपलब्ध हैं और इस खेल में जनसंपर्क विभाग के कुछ लोग शामिल हैं। 

कैसे हुआ खुलासा
इंदौर नगर निगम के बेलदार मो. असलम खान के यहां लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई हुई थी। यहां कालधन और बड़ी संख्या में सरकारी दस्तावेजों के अलावा सरकारी प्रेस कार्ड भी मिला जिसे मध्यप्रदेश में अधिमान्य पत्रकार कार्ड भी कहते हैं। सवाल उठा कि एक सरकारी कर्मचारी के पास अधिमान्य पत्रकार कार्ड कैसे पहुंचा। उंगली उठी तो विभाग ने इसकी पड़ताल की और फिर सफाई पेश की। 

जनसंपर्क विभाग ने की शिकायत
जनसंपर्क विभाग इंदौर ने सोमवार को पुलिस से इसकी शिकायत कर बेलदार पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा। जिस अखबार के नाम से यह कार्ड बना है, उसके संपादक जूनी इंदौर पुलिस में शिकायत कर चुके हैं। राज्य के जनसंपर्क आयुक्त पी. नरहरि ने दो दिन पहले ही स्पष्ट किया था कि उक्त कार्ड फर्जी है और राज्य जनसंपर्क कार्यालय भोपाल से नहीं बना। अब संभागीय जनसंपर्क कार्यालय इंदौर की ओर से उप संचालक आरआर पटेल ने आईजी को आवेदन दिया कि असलम नामक व्यक्ति के अधिमान्य पत्रकार के कार्ड का रिकाॅर्ड न भोपाल और न इंदौर कार्यालय में है। कार्ड फर्जी है। 

फर्जी कार्ड बनाने वाला रैकेट सक्रिय है
सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश में फर्जी सरकारी प्रेस कार्ड बनाने वाला एक रैकेट सक्रिय है। इसके तार जनसंपर्क विभाग से जुड़े हुए हैं। फर्जी प्रेस कार्ड भी उसी मशीन से छपे हैं जहां से असली सरकारी प्रेस कार्ड छपे हैं। यह एक बड़ा घोटाला भी हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि 2500 से लेकर 5000 रुपए तक में अधिमान्यता वाले कार्ड आसानी से मिल जाते हैं। इसके लिए कई ऐजेंट काम कर रहे हैं। ये ऐजेंट जनसंपर्क विभाग में ठीक उसी प्रकार नियमित रूप से आते जाते रहते हैं जैसे आरटीओ में। 

क्या पूरी जांच कराएगी सरकार
फर्जी अधिमान्यता कार्ड बनाने का धंधा सामने आ चुका है। यह एक गंभीर अपराध है। सरकार अधिमान्यता कार्ड धारकों को विशेष सम्मान देती है। वो सरकारी कार्यालयों में आसानी से घुस सकते हैं। इस कार्ड के माध्यम से व्यक्ति सीएम हाउस और राजभवन तक में प्रवेश कर सकता है। यह मामला सरकार की सुरक्षा से जुड़ा है। सवाल यह है कि क्या पुलिस उस रैकेट का पर्दाफाश करने की हिम्मत जुटा पाएगी जिसने ये कार्ड बनाए। 

जनसंपर्क विभाग के पास असली नकली जांचने की तरकीब ही नहीं
दरअसल, मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग के पास असली और नकली पत्रकार को जांचने की कोई तरकीब ही नहीं है। पिछले कुछ सालों में विभाग की पूरी प्रक्रिया ही बदल गई है। कहा जाता है कि यहां खुलेआम दलाली चलती है। कई बार आरोप लगे हैं कि विभागीय कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम प्रेसकार्ड जारी कर रखे हैं। इतना ही नहीं रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी प्रकाशन भी किए जा रहे हैं और उन्हे करोड़ों के सरकारी विज्ञापन भी बंट रहे हैं। 
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