अध्यापकों ने जलायी नियुक्ति के नियमों की होली: कहा नियम असवैंधानिक हैं | MP NEWS

मंडला। अध्यापक संवर्ग की शिक्षा विभाग/आ.जा.क विभाग में संविलयन की वर्षो पुरानी मांग रही है यह महत्वपूर्ण मांग 21 जनवरी को आपने अपने आवास से मुख्यमंत्री जी ने ‘‘एक विभाग एक केडर’’ की बात कहकर पूरी करने की घोषणा की थी। उक्त घोषणा से अध्यापक बहुत खुश थे। लेकिन जैसें ही राजपत्र में नियमों का प्रकाशन हुआ - एक विभाग एक केडर के स्थान पर नया केडर ,संविलयन के स्थान नियुक्ति, वेतन में वृद्वि के स्थान पर कमी होने से अध्यापकों में घोर निराशा और असंतोष आ गया है। 

नियमों में शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक और अध्यापक संवर्ग की सेवा अवधि के लाभ के बारे में उल्लेख नहीं होने के बाद भी विकल्प पत्र और घोषणा पत्र भराया जा रहा है। नियम स्पष्ट न होना और विकल्प मांगा जाना असवैंधानिक और अतार्किक है जिसे लेकर अध्यापकों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। घोषणा के अनुसार गुरूजियों को वरिष्ठता लाभ नहीं दिया गया। ट्रायवल विभाग में अन्तर्निकाय संविलयन में आदेश के बाद भी कार्यमुक्त नहीं किया गया। अध्यापक सिर्फ स्थानीय निकाय के कर्मचारी हैं चाहे वे शिक्षा विभाग की शालाओं में कार्यरत हों या ट्रायवल विभाग की शालाओं में उनमें कोई वैधानिक भेद नहीं है लेकिन शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग के नये केडर में नियुक्त करते समय भेद किया जा रहा है। 

शिक्षा विभाग में राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में हाईस्कूल प्राचार्य का पद सृजित कर वरिष्ठ अध्यापक(उच्च माध्यमिक शिक्षक) की पदोन्नति का प्रावधान किया गया है और नियमों में 7वें वेतनमान का लाभ दिया जाना भी उल्लेखित हैं वहीं उसके उलट जनजातीय कार्य विभाग के अन्तर्गत मप्र जनजातीय एवं अनुसूचित जन जाति शिक्षण सवंर्ग नियम मंे हाईस्कूल प्राचार्य का पद सृजित नहीं किया गया है जिससे वरिष्ठ अध्यापकों को पदोन्नति के अवसर से वंचित किया गया है साथ ही 7वें वेतनमान का उल्लेख नहीं किया गया है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार का सरासर उल्लंघन है। अध्यापक (पीटीआई) की नियुक्ति के सम्बध में नियम में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। 

नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसे पूर्ण करने में 6 माह से अधिक का समय लग सकता है। उक्त विसगंतियों के चलते अध्यापकों ने राजपत्र में प्रकाशित नियमों की होली जलाकर विरोध किया और मुख्यमंत्री के नाम मण्डला डी.के.सिंगौर की अगुवाई में डिप्टी कलेक्टर वी.के.कर्ण को और नैनपुर में संजीव सोनी की अगुवाई में एसडीएम हुरेन्द्र घोरमारे को ज्ञापन सौंपा। शेष ब्लाक में बुधवार को ज्ञापन सौपां जावेगा। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने बताया कि जिले के अध्यापक 2 सितम्बर को भोपाल जाकर विरोध प्रदर्शन करेंगें मांगे पूरी नहीं होने पर शिक्षक दिवस का बहिष्कार भी किया जायेगा। अध्यापकों ने अपनी मांग में निम्न मागों के निराकरण की बात की है।

1. अध्यापकों को नये केडर में नियुक्त करने के स्थान पर छ.ग. सरकार की तर्ज पर सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता पदनाम देते हुये सीधे मूल विभाग में ही ‘संविलयन’ किया जाये।
2. नियम में उल्लेखित यह कण्डिका ‘‘नियुक्त किये गये अध्यापक संवर्ग के व्यक्ति इस नियम के प्रभावशील होने के पूर्व की अवधि के वेतनमान,भत्तों एवं योजना आदि को इस सेवा के संदर्भ में प्राप्त करने के हकदार नहीं होगें’’ यह कण्डिका पूर्णतः असवैंधानिक और गैर जरूरी है। पूर्व की सेवा का लाभ प्राप्त करना कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है। इस कण्डिका के चलते अध्यापकों का वेतन उल्लेखित वेतनमान के न्यूनत्तम पर निर्धारित होगा।
नियम व विकल्प पत्र से पूर्ण रूप से इसे विलोपित किया जाये। 1 जुलाई 2018 से वेतन निर्धारण की प्रक्रिया का भी खुलासा किया जाये।
3. पदोन्नति/क्रमोन्नति के लिये सेवा अवधि की गणना अध्यापक संवर्ग में संविलयन की भांति शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षक पद पर नियुक्ति दिनांक से की जाये।
4. गुरूजियों को घोषणा के अनुसार वरिष्ठता प्रदान की जाये।
5. वरिष्ठता सूची तैयार करने के लिये अध्यापक संवर्ग में नियुक्ति के दिनांक को आधार बनाया गया है जो व्यवहारिक नहीं है और न ही न्यायोचित है अतः शिक्षाकर्मी  और संविदा शिक्षक के पद पर नियुक्ति दिनांक को आधार बनाया जाये।
6. जनजातीय कार्य विभाग के नियमों में हाईस्कूल प्राचार्य का पद सृजित किया जाये साथ ही 7वें वेतनमान दिये जाने का उल्लेख भी किया जाये।
7. अध्यापक(पीटीआई) के संविलयन का भी प्रावधान किया जाये।
8. छ.ग. सरकार का अनुसरण कर विभाग में संविलयन की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाये ताकि अधिकत्तम 1 माह के अन्दर कार्यवाही पूर्ण हो सके। उल्लेखनीय है कि छ.ग. में संविलयन की प्रक्रिया म.प्र. के बाद मंे शुरू हुई लेकिन वहां शिक्षकों को संविलयन किये गये पदों का वेतन प्राप्त होने लगा है। 
9. जनजातीय कार्य विभाग मंे अन्तर्निकाय संविलयन के अन्तर्गत स्थानांतरित किये गये अध्यापकों को कार्यमुक्त किया जावे। इसी प्रकार प्राथमिक माध्यमिक शाला के अध्यापकों की अन्तर्निकाय संविलयन की प्रक्रिया विभाग में संविलयन की प्रक्रिया को प्रभावित किये बगैर पूर्ण की जाये।

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