भारत बंद: GWALIOR में बदले हालात, नेताओं की गिरफ्तारी। MP NEWS

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GWALIOR: गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के ग्वालियर दौरे के बाद 9 अगस्त को प्रस्तावित एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के खिलाफ देश व्यापी आंदोलन को देखते हुए ग्वालियर में पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। एससी-एसटी वर्ग के लोगों से जुड़े राजनीतिक व सामाजिक संगठन क्षेत्रों में लगातार बैठकें कर रणनीति बना रहे हैं। वहीं पुलिस ने इस आंदोलन को देखते हुए पहले की हिंसा में नामजद लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है। क्राइम ब्रांच ने सम्यक समाज संघ (एस 3) के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभारी मकरंद सिंह बौद्ध को गिरफ्तार कर लिया है और उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। मकरंद के खिलाफ 2 अप्रैल को हिंसा फैलाने का केस थाटीपुर एवं मुरार थाने में दर्ज है।  

2 अप्रैल को हिंसा फैलाए जाने के मामले में सूत्रधार व 32 मामलों में आरोपी के तौर पर नामजद एस 3 के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाखन बौद्ध ने फिर खुली चुनौती दी है कि 9 अगस्त को यह आंदोलन पूरी ताकत से किया जाएगा। पुलिस इतने केस दर्ज होने के बाद भी लाखन को गिरफ्तार नहीं कर सकी है और अब वह फिर नए आंदोलन की तैयारी में जुटा है। दलित संगठनों द्वारा भारत बंद के आव्हान के साथ यह आंदोलन किया जाएगा। शासन-प्रशासन के पास भी इस आंदोलन को लेकर सूचनाएं पहुंच रही हैं और प्रशासनिक स्तर पर आंदोलन को रोकने व होने पर निपटने के लिए मंथन शुरू हो चुका है।

इस संशोधन के खिलाफ दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भी भारत बंद का ऐलान किया था। जिसमें काफी हिंसा हुई और ग्वालियर शहर में दो व डबरा में एक युवक की मौत हुई। इस हिंसा के बाद कई दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा व कानून व्यवस्था बनाए रखने में काफी परेशानियां हुईं। इस हिंसा में भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका बड़े स्तर पर सामने आई थी। हिंसा फैलाने व भड़काने वाले कई उपद्रवियों की शिनाख्त होने के बाद भी पुलिस अब तक कार्रवाई नहीं कर पाई है। 

बताया जा रहा है कि पुलिस को जो इनपुट मिले हैं, उससे 2 अप्रैल से ज्यादा हालत खराब होने की बात कही जा रही है। चुनाव आचार सहिंता लागू होने से पहले अगर कोई बड़ा आंदोलन या हिंसा होती है तो इसका सीधा असर चुनाव में पड़ेगा। 29 जुलाई को गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के ग्वालियर दौरे और उनकी बंद कमरों में हुई बैठक के बाद प्रशासन हरकत में आया है। जिग्नेश ने दावा किया था कि 2 अप्रैल को ग्वालियर में हिंसा के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार ने दलितों पर 5 हजार झूठे केस लाद दिए हैं। 2 अप्रैल को एससी-एसटी वर्ग के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए भारत बंद करा रहे थे, लेकिन आरएसएस व भाजपा के लोगों ने उसे हिंसा का रूप दे दिया। हिंसा फैलाने वाले लोगों का बचाव करते हुए श्री मेवाणी प्रेस काॅन्फ्रेंस में केस वापसी की मांग दोहराते रहे।

सर्व यथार्थ कबीर पंथी संगठन के लोगों ने बुधवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने सवर्ण जाति के हित में एससी-एसटी कानून में संशोधन किया है। जिससे एससी-एसटी वर्ग के लोग काफी कमजोर हो गए हैं और उत्पीड़न बढ़ गया है। 9 अगस्त को एससी-एसटी वर्ग के लोगों द्वारा भारत बंद आंदोलन किय जा रहा है, जिसका हम समर्थन करेंगे।

कई सरकारी विभागों में इस वर्ग से जुड़े कर्मचारियों द्वारा 8 व 9 अगस्त की छुट्टी के लिए आवेदन दिए जा रहे हैं, ताकि वे आंदोलन में अपनी भूमिका निभा सकें। हालांकि, विभागीय अधिकारी इन दिनों में छुट्टी स्वीकृत करने से इनकार कर रहे हैं। प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों की निगाह सभी विभागों के ऐसे कर्मचारियों पर टिकी हुई हैं, जो कि इन दो दिनों की छुट्टी मांग रहे। अधिकांश लोग 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस का बहाना बनाकर छुट्‌टी ले रहे हैं।
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