SC: किसी को भी हिंसा की इजाजत नहीं, लिचिंग के लिये LAW बनाए

NEW DELHI: पूरे भारत में गोरक्षा के नाम पर मॉब लिन्चिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) के मामले में उच्चतम न्यायालय अपना फैसला सुना दिया है. मंगलवार सुबह चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ की बेंच ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि भीड़ की हिंसा को सामान्य नहीं मान सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. इसे रोकने के लिए देश की संसद विचार करे और कानून बनाए.

इससे पहले इस मामले में 3 जुलाई को हुई अंतिम सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि यह कानून का मामला है और इस पर रोक लगाना हर राज्य की जिम्मेदारी है. अदालत ने उस दिन इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को हर हाल में रोका जाए. अदालत ने कहा है कि यह सिर्फ कानून-व्यवस्था से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि यह एक अपराध है, जिसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए. कोर्ट को यह मंजूर नहीं कि देश में कोई भी कानून को अपने हाथ में ले.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !