CAR INSURANCE कंपनियों ने RULES बदले, ध्यान से पढ़ें नहीं तो CLAIM रिजेक्ट

बीमा कंपनियों ने VEHICLE INSURANCE के नियमों में एक बड़ा बदलाव कर दिया है। यह चतुराई क्लैम अदा करने से इंकार करने के लिए बनाया गया समझ आता है। कंपनियों ने नियम बनाया है कि यदि आपकी CAR/BIKE चोरी होती है और आपके पास उसकी दूसरी ORIGINAL KEY नहीं है तो वो क्लैम अदा करने से इंकार (REJECT) कर सकते हैं। अधिकतर कंपनियों ने अब ऐसा नियम ही बना दिया है कि CAR चोरी होने की स्थिति में POLICY HOLDER को वाहन की दो ओरिजिनल चाबियां पेश करनी होंगी। इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने इस संबंध में कोई स्पष्ट (RULES) नियम नहीं बनाया है और इसे INSURANCE  कंपनियों पर ही छोड़ दिया है। INSURANCE कंपनियों का कहना है कि उन्हें फर्जी दावों से निपटने के लिए दो असली चाबियां पेश करने का नियम बनाया है।

हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जब बीमा कंपनी ने गाड़ी चोरी होने पर क्लेम देने से इंकार कर दिया। दिल्ली के रहने वाले राकेश सिंह (बदला हुआ नाम) ने सरकारी स्वामित्व वाली बीमा कंपनी से अपनी होंडा सिटी कार का बीमा करवाया था। उनकी कार फरवरी माह में घर के बाहर से चोरी हो गई थी। जब सुरेश कुमार ने क्लेम की मांग की तो, बीमा कंपनी ने उन्हें दो ओरिजनल चाबी लाने को कहा। राकेश का कहना है कि बीमा के दस्तावेजों में कहीं भी दो चाबी होने की शर्त का जिक्र नहीं था। एंजेट ने मुझे बाद में बताया कि अगर मेरे पास दो चाबियां नहीं होंगी तो कंपनी मेरे दावे को खारिज कर सकती है। मेरी किस्मत अच्छी थी कि उस समय मेरे पास दोनों चाबियां थीं।

यहां तक कि परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का भी कहना है कि ऐसे मामले हो सकते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति की एक चाबी खो गई हो और फिर वह ड्युप्लिकेट से काम चला रहा हो। एक अधिकारी का कहना है कि किसी के क्लेम पर विचार करते हुए इंश्योरेंस कंपनियों को ऐसी स्थितियों पर भी विचार करना चाहिए।

इतना ही नहीं इसके अलावा भी कई नियम हैं, जो आपको पता होने चाहिए वर्ना आपको क्लेम नहीं मिलेगा। जैसे सुरेश के पास अपनी कार की आरसी थी, इसके बावजूद उन्हें अथॉरिटी लेटर हासिल करना पड़ा ताकि वह साबित कर सकें कि चोरी हुई कार के मालिक वह ही थे। इस पूरी प्रक्रिया को 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन सुरेश को अब भी बीमे की रकम का इंतजार है। उन्हें इंश्योरेंस कंपनी से लेकर रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस तक कई बार दस्तावेज जमा कराने पड़े।
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