इंदौर। गर्मी की छुट्टियां मनाने के बाद विद्यार्थी और शिक्षक लौटे तो हैरान रह गए। स्कूल का भवन जमींनदोज हो चुका है। एक-दो दिन तक शिक्षक सड़क पर ही बच्चों को लेकर जैसे-तैसे बैठे रहे। क्षेत्रीय पार्षद के कहने पर स्कूल से आधा किलोमीटर दूर सामुदायिक भवन में स्कूल लगाने लगे। महज 15 बाय 20 के कमरे में 250 बच्चों को ठूंस ठूंसकर बैठाया जा रहा है। स्कूल भवन की इस कशमकश में बच्चे स्कूल छोड़कर जा रहे हैं।
कबीटखेड़ी के सरकारी स्कूल के हालात देखकर सभी सरकारी दावों की पोल खुल रही है। जहां नए सत्र में बच्चों के स्वागत के लिए स्कूलों को सजाने के आदेश दिए गए थे वहीं एक स्कूल ऐसा भी था जहां स्कूल की बिल्डिंग के ही अते-पते नहीं हैं। शासकीय प्राइमरी व मिडिल स्कूल कबीड़खेड़ी के नए भवन के लिए नगर निगम ने 60 लाख रुपए मंजूर किए हैं। स्कूल भवन बेहद जर्जर हो चुका था लेकिन बिना वैकल्पिक भवन दिए ही स्कूल भवन को गिरा दिया गया। स्कूल पर बुलडोजर चल गया और अब मलबा उठाने का काम चल रहा है। हालात यह हो गए कि पहले दिन तो बच्चों को सड़क पर बैठाया गया। शिक्षकों का कहना है कि वे शिक्षा विभाग के अफसरों से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। आखिरकार क्षेत्रीय पार्षद ने अस्थायी तौर पर सामुदायिक भवन में बच्चों को बैठाने की अनुमति दी है लेकिन यह भी सिर्फ मौखिक है। यहां पर कब तक बच्चे बैठ पाएंगे यह भी कुछ तय नहीं है। दोनों विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं और बच्चों की फजीहत हो रही है।
पहली से पांचवीं तक सभी एक जैसा पढ़ रहे
जिस सामुदायिक भवन में फिलहाल प्राइमरी और मिडिल स्कूल लग रहा है वह बच्चों की संख्या की तुलना में छोटा है। पहली से पांचवीं तक सभी विद्यार्थियों को एकसाथ ही बैठा दिया जाता है। इससे पांचों कक्षाओं के बच्चे एक जैसा पढ़ रहे हैं। पहली के बच्चे भी ककहरा और गिनती पढ़ रहे हैं और पांचवीं के भी। शिक्षकों का कहना है कि एक समय में एक ही शिक्षक बोल सकते हैं क्योंकि एक शिक्षक की आवाज पूरे कमरे में आती है। इससे सभी शिक्षक अपनी अपनी कक्षा की पढ़ाई नहीं करवा सकते।
जहां पढ़ते हैं वहीं खाना खाते हैं
इधर बच्चों के साथ सबसे बड़ी समस्या मध्यान्ह भोजन की हो रही है। बच्चे जहां पढ़ने के लिए बैठते हैं उन्हें वहीं पर ही भोजन भी करना पड़ता है। भोजन करने के बाद बच्चे खुद ही वहां जैसे तैसे सफाई करते हैं लेकिन पूरे कमरे में मक्खियां भिनभिनाने लगती है। बच्चों का न तो खाने में मन लगता है न पढ़ाई में।
एडमिशन के बजाय दाखिला निकालने लगे
जून महीने में स्कूल में नए एडमिशन होते हैं लेकिन कबीटखेड़ी के सरकारी स्कूल में हालात उलट हो रहे हैं। यहां एडमिशन के बजाय बच्चे दाखिले निकलवा रहे हैं। सामुदायिक भवन पुराने स्कूल से करीब आधा-पौन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां भी कुछ तय नहीं है कि कब तक स्कूल लगेगा। इससे माता-पिता बच्चों को दूर स्कूल भेजने में कतरा रहे हैं। प्रधानअध्यापक के मुताबिक अब तक करीब 15-16 बच्चों के दाखिले निकल गए हैं।
भवन में शादी-ब्याह हुए तो स्कूल कहां लगेगा?
सामुदायिक भवनों में क्षेत्रीय रहवासियों के पारिवारिक कार्यक्रम होते रहते हैं। अब शिक्षकों को डर है कि कभी भवन किसी कार्यक्रम के लिए आवंटित किया गया तो स्कूल कैसे लगेगा? न तो कार्यक्रम के दिन बच्चे भवन में बैठ सकेंगे न अगले दिन भवन में गंदगी के कारण बैठने लायक स्थिति रहेगी।
पढ़ाई का वातावरण नहीं बन रहा
हम तो सभी स्थानों पर शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। स्कूल भवन काफी पुराना था इसलिए नया बन रहा है लेकिन हमें कोई स्थायी विकल्प मिल जाए तो अच्छा रहेगा। बच्चे और शिक्षक सभी परेशान हो रहे हैं। ऐसे वातावरण में पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है।
चैनसिंह परिहार
प्रभारी प्रधानअध्यापक, प्राइमरी स्कूल कबीटखेड़ी
नया भवन तलाशा जा रहा है
स्कूल के संबंध में जानकारी मिली थी। निगम नया स्कूल भवन बना रहा है। स्कूल को पास के सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया है। स्थायी भवन भी तलाशा जा रहा है जहां जल्द ही शिफ्ट कर दिया जाएगा।
नरेंद्र जैन
प्रभारी, आरएमएसए