संविदा कर्मचारियों ने भरी हुंकार: या तो नियमितीकरण या बेमुद्दत हड़ताल

भोपाल। समस्त संविदा कर्मचारी समिति के बैनर तले संविदा कर्मचारियों ने नीलम पार्क में प्रदर्शन किया। प्रदेश भर से आए संविदा कर्मचारियों ने नारे लगाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करके गुस्से का इजहार किया। संविदा कर्मचारियों की भीड़ से नीलम पार्क पूरा भरा था। इस दौरान सभा भी हुई। इसे समिति के अध्यक्ष अजय तिवारी, उपाध्यक्ष रेनु उपाध्याय, सौरभ सिंह चौहान समेत कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि सरकार को संविदा कर्मचारियों से धोखा दिया। सरकार ने नियमित करने का वादा किया था। कैबिनेट के निर्णय के बाद जो आदेश जारी किए गए उसमें अनेक विसंगति है।

सीएम ने भी संविदा प्रथा को खत्म करने की बात कही थी। इसके बावजूद सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। जो नौकरी में हैं, उन्हें नियमित नहीं किया। इससे प्रदेश के 1.84 लाख संविदा कर्मचारियों में आक्रोश है। यदि सरकार ने विसंगतिपूर्ण आदेश रद्द नहीं किया तो प्रदेश में बेमुद्दत हड़ताल की जाएगी। इनके प्रदर्शन के मद्देनजर नीलम पार्क के आसपास भारी पुलिस बल तैनात था।

सीएम खुद कहा था अन्यायपूर्ण है संविदा व्यवस्था
'संविदा व्यवस्था अन्यायपूर्ण व्यवस्था है और दिग्विजय काल में यह शुरू हुई थी, इसे ख़त्म कर दिया जाएगा'.. यह बात सीएम शिवराज ने कई मौके पर कही, जिसके बाद लगभग एक माह तक हड़ताल करने वाले संविदाकर्मियों को सरकार से उम्मीद बांध गई और उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ले ली। लेकिन कैबिनेट तक इस प्रस्ताव को पहुँचने में देर लग गई।

29 मई को मिली थी नियमितीकरण को मंजूरी
कैबिनेट मीटिंग में उम्मीद थी कि संविदा कर्मचारियों को उन विभागों में जहां वो काम कर रहे हैं, नियमित कर्मचारी के तौर पर मर्ज कर दिया जाएगा। कहा गया था कि 29 मई को कैबिनेट में इसकी मंजूरी दे दी जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ। कैबिनेट में संविदा कर्मचारियों का मुद्दा आया। कुछ फैसले भी हुए परंतु नियमितीकरण नहीं हुआ।

नाराजगी की ये हैं वजह
कैबिनेट ने अपने फैसले में संविदा कर्मियों को पद से ना हटाने, बिना जांच के बर्खास्त न करने, ईपीएफ कटौती, नियमितीकरण में 20% आरक्षण की पात्रता ,दूसरे विभागों में जाने की सुविधा, अवकाश सुविधा जैसी सुविधाएं देने का वादा किया है।

सरकार ने दिया धोखा
संविदा कर्मी इससे नाराज हो गए और सरकार का धोखा बताते हुए एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार के साथ बैठकर उनकी, जो बात हुई थी उसमें सबसे प्रमुख मुद्दा, जिस पद पर वे काम कर रहे हैं, उस पद पर नियमितीकरण था। लेकिन सरकार ने यह वादा पूरा नहीं किया।
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