
क्या कहना है हड़ताली वन कर्मचारियों का
वन कर्मचारियों के लिए बंदूक तो दे दी है परंतु उसे चलाने का अधिकार नहीं दिया जिसके कारण वन कर्मचारी वनों की सुरक्षा तो करते हैं पर स्वयं सुरक्षित नहीं हैं। राजस्व और पुलिस के समान कार्य करने पर भी उन्हें दोनों विभागों की तुलना में न्यूनतम वेतनमान दिया जाता है जो वन कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं है। धीरे-धीरे सभी वन कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आज वन कर्मचारी मुंडन करा कर अपना विरोध प्रदर्शन प्रकट करेंगे। प्रदेश सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वन कर्मचारियों की ड्यूटी काफी कठिन होती है तथा अपनी जान हथेली पर रखकर वन एवं वन्य प्राणियों की रक्षा करते हैं परंतु स्वयं सुरक्षित नहीं होते।
आमजन भी वन कर्मचारियों के साथ आ रहे हैं। अनेक संस्थान एवं संगठन वन कर्मचारियों को अपना समर्थन दे रहे हैं। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि ही नहीं विपक्ष के लोग भी वन कर्मचारियों के साथ हैं। सरकार का अड़ियल रवैया वन संपदा को नुकसान पहुंचा रहा है। 11 दिन में करोड़ों की वन संपत्ति का नुकसान हुआ है। साथ ही साथ अनेक वन्य जीवों की जान पर बन आई है। विभिन्न क्षेत्रों में वन माफिया एवं शिकारियों के सक्रिय हो जाने से वन्य प्राणी सुरक्षित नहीं हैं। तथा वनों में नुकसानी हो रही है जो पर्यावरण के लिए घातक है।
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