शिवपुरी। मप्र सरकार ने 29 तारीख को केबिनेट में अध्यापक संवर्ग का संविलियन शिक्षा विभाग में करते हुये सातवें वेतनमान का लाभ दिया था किन्तु अध्यापकों को 1994 वाला शिक्षा विभाग न देते हुये नए कैडर में शामिल किया गया है। जिससे उनकी पूर्व सेवा अवधि की गणना शून्य होने की आशंका बढ़ गई है। साथ ही अध्यापकों को सातवे वेतनमान का लाभ 1 जुलाई 2018 से दिया गया है जबकि राज्य शासन के सभी कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिये जाने से अध्यापक अपने आप को छला महसूस कर रहे है। वहीं एक ओर अध्यापकों के स्थानांतरण तो कर दिये गये जबकि आदिम जाति कल्याण विभाग ने अध्यापकों की रिलीविंग पर रोक लगा रखी है। जिसके कारण अध्यापक एक बार फिर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने का मन बना रहे हैं।
अध्यापकों को नए कैडर में शामिल किये जाने से तथा अन्य मांगों को लेकर अध्यापक रविवार को जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय के बाहर एकत्रित हुये। जहां से रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुॅचकर जिलाधीश की ओर से डिप्टी कलेक्टर उदय सिंह सिकरवार को मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन अध्यापक महासंघ की ओर से सौंपा गया। अध्यापकों के इस ज्ञापन में प्रमुख रूप से आजाद अध्यापक संघ, शासकीय अध्यापक संघ, अध्यापक संविदा शिक्षक संघ, राज्य अध्यापक संघ, अध्यापक कांग्रेस, आम अध्यापक संघ शामिल थे।
ज्ञापन में प्रमुख रूप से वंदना शर्मा, मीना चौकसे, अरविन्द सरैया, सुनील वर्मा, धर्मेन्द्र रघुवंशी, राजकुमार सरैया, के.पी.जैन, अमरदीप श्रीवास्तव, राजाबाबू आर्य, विपिन पचौरी, कौशल गौतम, जितेन्द्र व्यास, राजविहारी शर्मा, बृजेन्द्र भार्गव, इरशाद कुर्रेशी, रामकृष्ण रघुवंशी, भरत धाकड़, उमेश करारे, मनमोहन जाटव, जनकसिंह रावत, रवि चौधरी, अनिल मलावरिया, कपिल पचौरी, राजेन्द्र चाहर, भारत मित्तल, मधूसूदन सिंघल, जितेन्द्र शर्मा, रामू सोनी, वलवीर तोमर, संतोष यादव, प्रदीप नरवरिया, जयकुमार शर्मा, गजेन्द्र धाकड़, राजेश सोनी, सुनील सैन, राजेश सैन, राजेन्द्र धाकड़, संजय रावत, इन्दर सिंह जाटव, अमरसिंह जाटव, सतीष धाकड़ आदि प्रमुखरूप से उपस्थित थे।
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