जिंदा मरीज को मृत बता शव सौंप दिया, DOCTORS ने कहा डेथ सर्टिफिकेट बन गया है इसी को ले जाना पड़ेगा



MUMBAI: महाराष्ट्र के सांगली जिला सरकारी अस्पताल में एक जिंदा मरीज को मृत बताकर उसके परिजनों को किसी अन्य व्यक्ति का शव सौंप दिया गया और जिंदा व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब परिवारजनों ने आपत्ति जताई कि यह शव उनके मरीज का नहीं है तो सरकारी डॉक्टरों ने उन्हे मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाते हुए दावा किया कि यही शव उनके मरीज का है। सरकारी डॉक्टरों की धमक देखिए कि असहाय परिवारजन अज्ञात व्यक्ति का शव लेकर चले भी गए। खुलासा तो तब हुआ जब वार्ड में मरीज जिंदा वेरिफाई हो गया।

जानकारी के अनुसार, सांगली जिले के तासगांव के अविनाश उर्फ चिल्लू दादासाहेब बागवडे बीते 8 जून को जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनका उपचार शुरू था। इसी दौरान मंगलवार को सुबह अस्पताल से अविनाश के परिजनों को बताया गया कि उसकी मौत हो चुकी है। शव ले जाएं और अंतिम संस्कार करें। अस्पताल से यह सूचना मिलने पर परिजन स्तब्ध रह गए। परिजन अविनाश का शव लेने अस्पताल पहुंचे। परिजनों ने शव देखकर उसे लेने से मना कर दिया। परिजनों का कहना था कि यह शव अविनाश का नहीं है, लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र थमाया और कहा कि यह अविनाश का ही शव है इसे यहां से ले जाएं।

परिजनों की जब नहीं सुनी गई तो वो अविनाश का शव समझकर उसको अपने जिला अस्पताल से 25 किमी. दूर अपने घर ले आए। अविनाश की मौत की खबर सुनकर गांववाले और रिश्तेदार भी इकट्ठा हो गए। शव का अंतिम दर्शन करते समय सभी यही कह रहे थे कि यह अविनाश का शव नहीं है। लेकिन, मृत्यु प्रमाण पत्र देखकर सभी भौंचक्के रह गए। फिर भी, रिश्तेदारों ने तय किया कि पहले यह पता लगाएंगे कि यह शव किसका है। इसके बाद शव को फिर से जिला अस्पताल लाकर पूछताछ शुरू की गई। अंतत: सच्चाई सामने आई कि अस्पताल प्रशासन ने जिसे अविनाश का शव बताया था वह दरअसल किसी और का है।

वहीं, अस्पताल में अविनाश जीवित पाया गया। इस घटनाक्रम पर परिजनों ने कड़ी नाराजगी जताई और अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा। हालांकि, अविनाश तो जीवित मिल गया लेकिन अज्ञात शव किसका था यह पता नहीं चल पाया।

दोषियों पर होगी कार्रवाई
सांगली जिला अस्पताल की अधिष्ठाता डॉ. पल्लवी सापले ने इस घटनाक्रम पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि जीवित व्यक्ति को मृत घोषित करना अक्षम्य अपराध है। इस मामले की जांच होगी और जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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