भय्यूजी को कोई ब्लैकमेल कर रहा था, फोन आते ही घबरा जाते थे

इंदौर। मॉडलिंग से आध्यात्म की दुनिया में आकर गृहस्थ संत बन गए भय्यूजी महाराज की आत्महत्या के रहस्य बढ़ते ही जा रहे हैं। उनकी दूसरी पत्नी डॉ. आयुषी की छुपी हुई कहानियां अभी पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाईं थीं कि एक नया खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि कोई उन्हे ब्लैकमेल कर रहा था। जैसे ही उसका फोन आता था भय्यूजी काफी घबरा जाते थे। सामान्य फोन कॉल पर वो सबके सामने ही बात करते थे परंतु जब ये कॉल आता तो वो अकेले में जाकर उससे बात करते थे। बताया गया है कि उनके कई ट्रस्टी धीरे-धीरे पद छोड़ चुके हैं। उद्योगपति और दानदाता लगातार कम हो रहे थे। पुलिस के अनुसार, घर में ही धमकी मिलती थी कि उनका चरित्र खराब कर दिया जाएगा। 

1. परिवार: बेटी को लंदन भेजने का विरोध
पुलिस को यह भी पता चला है कि आत्महत्या से दो दिन पहले भय्यू महाराज ने किसी से 10 लाख रुपए के लोन की चर्चा की थी। शायद यह लोन वे बेटी को लंदन भेजने के लिए लेना चाह रहे थे। इसको लेकर भी परिवार में विवाद होता रहता था। वहीं, पत्नी के परिवार वाले महाराज की हर गतिविधियों पर उनकी नजर रखते थे।

2. जानकार: अकेले में करते थे फोन पर बात
- कुछ कॉल आते ही वे विचलित नजर आ जाते थे। कई बार सेवादार विनायक और अन्य लोगों को दूर कर अकेले में बात करते थे। एक कंस्ट्रक्शन व्यवसायी का फोन आने पर वह असहज हो जाते थे। यह बात उनकी पत्नी के माता-पिता ने भी मानी है। 
- उन्होंने जिन नंबरों पर सबसे ज्यादा बातें की, वे बेटी, पत्नी, विनायक, पड़ोसी मनमीत अरोरा और पुणे के सेवादार अनमोल चह्वाण के हैं। 

3. ट्रस्ट: कुछ प्रमुख लोग छोड़ गए थे साथ
दूसरी शादी के बाद से महाराज का वर्चस्व कम होने लगा था। सूर्योदय ट्रस्ट से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों ने धीरे-धीरे कर उनका साथ छोड़ दिया था। इसलिए उन्हें किसी पर ज्यादा विश्वास नहीं हो रहा था। गरीब लोगों के लिए जो सेवा कार्य श्री सद्गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट ने शुरू किए थे, उनका व्यवस्थित संचालन नहीं होने का डर भी सता रहा था। महाराष्ट्र से आने वाले भक्तों की संख्या भी घट गई थी।

4. प्रॉपर्टी: कई संपत्तियों का किया डिस्पोजल
यह भी पता चला है कि महाराज ने सात-आठ महीने में अपनी कई संपतियों का डिस्पोजल कर दिया था। वे सब कुछ समेटकर बेटी को लंदन भेजकर सेट करने के प्रयास में थे। हालांकि पत्नी और ससुराल के लोगों का दखल उनकी जिंदगी में तेजी से बढ़ रहा था।
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