
सरकारी सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स अपने पीएफ अकाउंट से पूरा पैसा निकालने लगे हैं। इससे संगठन की चिंता बढ़ गई है। ईपीएफओ ने प्रस्ताव दिया है कि जो लोग प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और फॉर्मल सेक्टर के हिस्से हैं, उन्हें कुल जमा राशि का महज 60 फीसदी निकालने की ही अनुमति दी जाए। इस प्रस्ताव का मकसद पीएफ सब्सक्राइबर्स की सदस्यता बनाए रखना और बेरोजगारी के दौरान सोशल सिक्युरिटी से जुड़ी उनकी जरूरतों को पूरा करना है।
छिड़ सकता है कानूनी विवाद
हालांकि कानूनी एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईपीएफओ के इस प्रस्ताव पर कानूनी विवाद छिड़ सकता है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग पूरी रकम निकालना चाहते हैं। कुछ मामलों में एंप्लॉयी को पिछले संगठन की तीन महीने की सैलरी के बराबर रकम ही पीएफ अकाउंट से निकालने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि इसके लिए आवेदन वे नौकरी जाने के कम से कम एक महीने बाद ही कर सकते हैं।
इस समय ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को अपनी नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद पीएफ सेविंग की पूरी रकम निकालने की अनुमति है। फैक्टरी बंद होने, शादी, बच्चों की पढ़ाई या मेडिकल खर्च के लिए भी सब्सक्राइबर्स को अपनी पीएफ सेविंग का एक हिस्सा निकालने की अनुमति है।
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