आम आदमी के विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी | NATIONAL NEWS

NEW DELHI | SUPREME COURT | INDIA | देश की सर्वाच्च अदालत ने सामान्य नागरिकों के विरोध प्रदर्शन के अधिकार के संदर्भ में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार को लगभग फटकारते हुए सवाल किया है कि जब नेता वोट मांगने के लिए जनता के घर जा सकते हैं तो जनता विरोध जताने के लिए नेता के घर क्यों नहीं आ सकती। बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यातायात व्यवस्थित रखने के नाम पर मध्य दिल्ली में सभी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। मध्य दिल्ली में स्थायी रूप से निषेधाज्ञा लागू करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

केंद्र ने लोगों के प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए यह फैसला लिया है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि लोगों के प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देने वाले शीर्ष अदालत और हाई कोर्ट के ढेर सारे आदेश हैं। पीठ ने कहा, 'जब चुनाव के दौरान राजनेता लोगों के बीच वोट मांगने जाते हैं तो चुनाव के बाद प्रदर्शन करने के लिए लोग उनके कार्यालय के समीप तक क्यों नहीं आ सकते।'

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यातायात में बाधा से बचने के नाम पर केंद्र ने पूरे मध्य दिल्ली में स्थायी रूप से सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी है। इसके तहत प्रदर्शन या लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान जाने को कहा गया है जबकि कई आदेशों में लोगों के प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता दी गई है। अधूरी रह गई सुनवाई नौ मई को भी जारी रहेगी।

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