
प्राप्तांकों की गणना भी पांच विषय की होगी, जिस विषय में सबसे कम अंक हैं, उसकी गणना नहीं होगी। ये निर्णय उन हजारों विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जो केवल एक विषय में अरुचि या दूसरे कारण से कम नंबर ला पाते हैं या इसमें फेल हो जाते हैं। इस योजना से एमपी बोर्ड को भी फायदा होगा। इससे 10वीं बोर्ड के रिजल्ट का प्रतिशत बढ़ जाएगा।
ये हैं 6 विषय :
हाईस्कूल कक्षा 10वीं में छह विषय - प्रथम भाषा, द्वितीय भाषा एवं तृतीय भाषा, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान एवं गणित होते हैं। परीक्षा फल बेस्ट ऑफ फाइव पद्धति से यानि इनमें से जिन पांच विषयों में (सैद्धांतिक तथा प्रायोगिक) में अलग-अलग उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। छठवां विषय जिसमें सबसे न्यूनतम अंक आएंगे, उसकी गणना कुल योग में नहीं की जाएगी।
छठवें विषय के अंक, अंकसूची में मात्र प्रदर्शित होंगे और इस विषय में उत्तीर्ण होना भी अनिवार्य नहीं होगा। बोर्ड का कहना है कि इस योजना का लाभ करीब 11 लाख विद्यार्थियों को मिलेगा। पिछले वर्ष 10वीं में करीब 2 लाख विद्यार्थियों को एक विषय में सप्लीमेंट्री आई थी। जिन्हें दोबारा परीक्षा देनी पड़ी थी।
छात्रों को फायदा होगा
इस योजना से विद्यार्थियों को बहुत फायदा होगा। साथ ही बोर्ड के रिजल्ट का प्रतिशत भी बढ़ेगा। हेमंत शर्मा, डायरेक्टर, माशिमं