मप्र में डर्टी पॉलिटिक्स: शिवराज सिंह अंगद, कमलनाथ रावण: VIDEO जारी

भोपाल। अब मध्यप्रदेश में भी उत्तरप्रदेश जैसी डर्टी पॉलिटिक्स शुरू हो गई। रामायण/महाभारत के पात्रों में अपने नेता का चेहरा चिपकाकर उसे महान बताना और शत्रुओं या राक्षसों के चेहरों पर विरोधी नेता का चेहरा चिपकाकर उसे अपमानित करना। यह अब तक यूपी में हुआ करता था। मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसे संस्कार कभी देखने को नहीं मिले। यहां मुद्दों पर बात होती है और सवाल जवाब भी होते हैं। कई बार तीखे शब्द भी आते हैं परंतु इस तरह की मसखरी कभी नहीं हुई। 

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया गया है। यह वीडियो ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ताओं की वॉल पर दिखाई दे रहा है। इस वीडियो में ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव और जीतू पटवारी रावण के दरबारी दिखाए गए हैं। अंगद की भूमिका में खड़े हैं शिवराज सिंह औऱ ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीतू पटवारी से लेकर कमल नाथ अंगद का पैर हिलाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। वीडियो किसने बनाया अभी नही मालूम लेकिन वीडियो की प्रेरणा यकीनन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ही हैं।

बता दें कि 4 मई को भोपाल दौरे पर आए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि एमपी बीजेपी का गढ़ है। एमपी में बीजेपी की सरकार अंगद का पैर है उसको कोई हिला नहीं सकता। 

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद बीजेपी कांग्रेस दोनों खेमों में हलचल मची है। कोई वीडियो का लुत्फ उठा रहा है तो कोई वीडियो देखकर परेशान है। बीजेपी के आईटी सेल के स्टेट आईटी और सोशल मीडिया सेल के प्रभारी शिवराज सिंह दाबी ने वीडियो को अपने ट्विटर पर पिन करके रखा है। लेकिन भाजपा इसे अपना वीडियो नहीं बता रही है। 

इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा:-
ये एमपी के दलित आदिवासी औऱ पिछड़ा वर्ग के लोगों की अभिव्यक्ति है। शिवराज जी को जो अपना नेता मानते हैं और अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं लगातार वो एमपी में उनकी सेवा कर रहे हैं। उनका अपमान करने का काम नालायक जैसे शब्द बोलकर कमलनाथ कर रहे हैं। वही, अहंकार जो सामंतवादी अहंकार रावण का था वही एमपी में इन राजा महाराजा और उद्योगपतियों का दिखाई दे रहा है।

कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा:-
हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ रामायण का ये अपमान है। भगवान राम का अपमान है। हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का अपमान है। बीजेपी का रावण रूपी अहंकार इससे प्रदर्शित होता है। जनता 2018 के चुनाव में इसका जवाब देगी।

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