शिवराज से नाराज किसानों ने मंत्री रामपाल सिंह को वापस भगाया, राशन लेकर धरने पर डटे

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद को मध्यप्रदेश के विकासरथ का सारथी कहते हैं परंतु उनकी अपनी ​ही विधानसभा के किसानों ने उन्हे झूठा और वादाखिलाफ घोषित कर दिया है। किसान अपने विधायक और सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं। वो अपने साथ राशन लेकर आए हैं, यानी लम्बे समय तक टिके रहेंगे। किसानों के गांव बंद हड़ताल से पहले अपनी विधानसभा में किसानों के विरोध प्रदर्शन से घबराए शिवराज सिंह ने अपने विश्वासपात्र मंत्री रामपाल सिंह को किसानों के पास भेजा। रामपाल सिंह ने किसानों के सामने हाथ तक जोड़े लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए। अंतत: मंत्री रामपाल सिंह अपना सा मुंह लेकर लौट आए। 

नसरुल्लागंज ब्लॉक में लाडकुई क्षेत्र के 30 गांवों में पिछले कई दशकों से बने भयंकर सूखे के हालातों के चलते यहां के किसान अपने विधायक एवं सीएम से क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का विस्तार चाहते हैं। इसी के चलते मध्य प्रदेश सरकार ने इन गांवों की सिंचाई सुविधा के लिए 95 करोड़ से सनकोटा, 76 करोड़ से मोगराखेडा, 10 करोड़ से बसंतपुर और 14 करोड़ की लागत के निमोटा डैम प्रस्तावित भी कर दिए लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।

सीएम की गृह विधानसभा के नसरुल्लागंज ब्लॉक के 30 गांवों के किसान पिछले दस वर्षो से सनकोटा, मोगरा खेड़ा डेम समूह के निर्माण की मांग कर रहे हैं। गत 18 दिसंबर 2017 इन्हीं गुस्साए किसानों ने पड़ यात्रा लेकर भोपाल सीएम हॉउस तक जाने का अल्टीमेटम देकर पूरी तैयारी कर ली थी। तब ही अचानक वहां सीएम के दूत बनकर आए जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह ने धरनारत किसानों को डैम समूह के निर्माण की स्वीकृति का मौखिक आश्वासन देकर शांत करा दिया।

लेकिन जब इस मामले को 5 माह होने पर भी सरकार की और से लिखित कोई स्वीकृति नहीं आई तो किसानों का सब्र जवाब दे गया और उन्होंने अपने हक के लिए अबकी बार सीएम और सरकार से आरपार की लड़ाई का एलान कर मंगलवार से नसरुल्लागंज तहसील परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर मोर्चा संभाल लिया है। किसान अपने साथ में खाना बनाने का सामान लेकर धरना स्थल पर डटे हैं।

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