अजय सिंह। सीएम शिवराज सिंह ने प्रदेश की महिलाओं से एक पवित्र रिश्ता जोड़ने का वादा किया लेकिन उसे निभाया नहीं। सीएम मंत्री रामपाल सिंह और उनके बेटे पर कोई कार्रवाई न करके भांजी प्रीति रघुवंशी के साथ दगा किया है। सीएम को महिलाओं के लिए एक अच्छा सुरक्षित वातावरण देना था, जो वह नहीं दे सके जो सीएम की सबसे बड़ी जबावदारी थी। मुख्यमंत्री ने 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई, फिर बेटी बचाओ अभियान चलाया लेकिन वही बेटियां बहू बनकर आज आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इसके साथ ही दहेज प्रथा के मामले में प्रदेश देश में आज तीसरे नंबर पर आ गया है।
यही नहीं 2012 में निर्भयाकांड के बाद मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह कानून व्यवस्था की समीक्षा, आयुक्त प्रणाली, फांसी का कानून सभी बातें कही, लेकिन उन्हें इन सबकी तब याद आई, जब भोपाल में एक यूपीएससी की छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ। मध्यप्रदेश, देश में बलात्कार की घटनाओं में यूपी को पीछे छोड़ते हुए पहले नंबर पर आ गया है। 17 मार्च को उदयपुरा में हुई घटना पर जिस तरह से पूरी सरकार आंख मूंदकर बैठ गई। उस दिन यह भी स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री की मंशा में ईमानदारी ही नहीं।
प्रीति रघुवंशी के परिजनों ने स्पष्ट आरोप लगाया कि प्रीति ने आत्महत्या मंत्री रामपाल सिंह उनके बेटे गिरजेश और परिजन के दबाव में की। लेकिन आज 17 दिन हो गए प्रीति के परिजनों के बयान तो ले लिए, लेकिन आज तक मंत्री रामपाल सिंह और उनके पुत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मुख्यमंत्री को कोई चिंता ही नहीं है। उनकी कथनी करनी में अंतर होने से प्रदेश में घटनाएं बढ़ रही हैं। यह घटनाएं तब तक होतीं रहेगी जब तक कि मुख्यमंत्री उनके मंत्री और संगठन के लोग राजनीतिक संरक्षण देना नहीं छोड़ेंगे और प्रदेश में दो कानून लागू होना बंद होगा जो आम के लिए अलग और खास के लिए अलग हो।
लेखक श्री अजय सिंह मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।