10 अप्रैल भारत बंद को लेकर मप्र में प्रशासनिक हाईअलर्ट | MP NEWS

भोपाल। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम में बदलाव के खिलाफ सोमवार को भारत बंद के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के मद्देनजर मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह और पुलिस महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ला ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर सीधी बात की। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि 10 अप्रैल को सामान्य और पिछड़ा वर्ग के बंद को लेकर सोशल मीडिया पर सूचनाएं आ रही हैं। 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती है। दोनों तारीखें काफी अहम हैं। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक हाई अलर्ट पर रहें। छुट्टी की बात न करें। संभव हो तो एक माह शादी-ब्याह की तारीखें आगे बढ़ाएं।

कलेक्टर/एसपी को विशेष दिशानिर्देश
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर-पुलिस अधीक्षकों से चर्चा करते हुए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी जनप्रतिनिधियों पर सामाजिक संगठनों से संवाद बनाए रखें। सोशल मीडिया खासतौर पर वॉट्सएप पर नजर रखें। सोशल मीडिया के माध्यम से कहीं भी कुछ भी फैल जाता है। इस समय छुट्टी की बात कोई न करे। यदि शादी-ब्याह एक माह में होना है और संभव हो तो उसे आगे बढ़ा दें। सरकारी कर्मचारियों का इस्तेमाल सामाजिक समरसता बनाने में करें। पटवारी, कोटवार, शिक्षक और पंचायत सचिवों के नेटवर्क के जरिए लोगों के संपर्क में रहें, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो उन्हें संभालना थोड़ा मुश्किल होता है।

ग्वालियर मुरैना कलेक्टरों ने मांगा अतिरिक्त बल
इस दौरान ग्वालियर और मुरैना कलेक्टर ने कहा कि हमारे क्षेत्र संवेदनशील है। मुरैना कलेक्टर बोले कि बीच शहर से रेल की पटरी निकली है। इस वजह से संवेदनशीलता काफी बढ़ जाती है।उन्होंने रेलवे पुलिस और रेल सुरक्षा बल का अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया जाए। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि सभी जिलों को पर्याप्त बल उपलब्ध कराया गया है। जरूरत पड़े तो सेना की भी मदद ली जा सकती है। इस दौरान प्रभारी अपर मुख्य सचिव गृह इकबाल सिंह बैंस, अपर पुलिस महानिदेशक राजीव टंडन सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

तबादलों के लिए पीएचक्यू न आएं पुलिसकर्मी
उधर, अपनी इकाइयों को छोड़कर तबादला आवेदन लेकर पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) आ रहे पुलिसकर्मियों को मुख्यालय से चेतावनी दी गई है कि वे बिना इजाजत न आएं। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बनी हुई है। इसके बावजूद उनका पुलिस मुख्यालय आना यह बताया है कि जिस भी इकाई में ये पदस्थ हैं, वहां के प्रभारियों का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है और बिना बताए अपनी मर्जी से पुलिस मुख्यालय आ रहे हैं। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बिना अनुमति कोई भी कर्मचारी सीधे वरिष्ठ कार्यालय संपर्क न करे वर्ना दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

आईएएस रमेश थेटे ने मांगा 1 दिन का वेतन
ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए आईएएस अफसर रमेश थेटे ने प्रभावित परिवारों को आर्थिक मदद के लिए एक दिन का वेतन दान करने का आह्वान किया। थेटे ने बताया कि हम सभी लोग (सांसद, विधायक, अधिकारी व कर्मचारी) आज जिस भी मुकाम पर हैं वो डॉ. भीमराव आंबेडकर की वजह से हैं। सोमवार की घटना में जिनकी मृत्यु हुई, उन्होंने समाज के लिए कुर्बानी दी है। अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारियों-कर्मचारियों का कर्त्तव्य बनता है कि वे प्रभावितों के परिवारों को आर्थिक मदद दें।

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