नई दिल्ली। डोकलाम गतिरोध के आठ महीने बाद रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने कहा है कि चीन से लगी भारतीय सीमा "संवेदनशील" है। सीमा पर तनाव बढ़ने के आसार हैं। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि भारत के पड़ोस पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता से नरसंहार के विनाशकारी हथियार आतंकियों के हाथ लग सकने का खतरा भी बढ़ गया है। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री भामरे ने गुरुवार को राष्ट्र निर्माण में भारतीय सेना के योगदान पर एक सेमिनार में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर हालात संवेदनशील हैं। यहां पर पेट्रोलिंग, घुसपैठ और गतिरोध की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। इसलिए तनाव और गहरा होने का अंदेशा है। विश्वास बहाली के सभी कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन हमें एलएसी की सुरक्षा का भी पूरा खयाल रखना होगा।
भामरे ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि एलएसी के इर्द-गिर्द इतनी सारी चीजें हो रही हैं। किस बात से तनाव बढ़ जाएगा आप कह नहीं सकते। कई परंपरागत और गैर परंपरागत खतरों के बीच साइबर हमले का खतरा और क्षेत्र में बढ़ती सांप्रदायिक कट्टरता भी चिंता का विषय है। पाकिस्तान तो खासकर आतंकी संगठन आइएस की सोच को बढ़ावा दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच 4000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) कहते हैं। जम्मू और कश्मीर से होकर गुजरने वाली इस रेखा को दोनों देशों के बीच आभासी रेखा के रूप में माना जाता है। पिछले साल 16 जून को भारत और चीन के बीच शुरू हुआ गतिरोध 72 दिनों तक चला था। चीनी सेना के विवादित क्षेत्र (डोकलाम) में सड़क बनाने से भारत के रोकने पर यह गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था जब चीनी सेना ने अपने कदम पीछे ले लिए थे।
सूत्रों का कहना है कि चीन ने उत्तरी डोकलाम में अपनी सेना की तैनाती बढ़ानी शुरू कर दी है। साथ ही विवादित क्षेत्र में अपना आधारभूत ढांचा खड़ा करने में जुटी हुई है। इसी साल जनवरी में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि समय आ गया है कि भारत अपना ध्यान पाकिस्तान से लगी सीमा से हटाकर चीन से लगी सीमा की ओर करे। इससे संकेत मिलते हैं कि हालात वाकई चिंताजनक हैं।