
खास यह है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने बुधवार को राष्ट्रीय आय के आंकड़े जारी करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत से संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया। सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पादन 32.50 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 30.32 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह तीसरी तिमाही में जीडीपी में 7.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इससे पूर्व विकास दर का उच्चतम स्तर 7.5 प्रतिशत वित्त वर्ष 2016-17 की जुलाई-सितंबर तिमाही में रहा था।
यह तिमाही आठ नवंबर 2016 को केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से ठीक पहले की तिमाही थी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर बढ़ने की वजह कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन है। मैन्यूफैक्चरिंग ने चालू वित्त वर्ष में 8.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है जबकि पिछले साल यह 6.9 प्रतिशत थी। इसी तरह कृषि क्षेत्र ने भी 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था नोटबंदी के असर से उबर चुकी है। साथ ही एक जुलाई 2017 से देशभर में जीएसटी लागू होने के कारण आर्थिक गतिविधियों में जो शुरुआती व्यवधान आए, उसके प्रभाव से भी अर्थव्यवस्था निकलकर धीरे-धीरे उच्च रफ्तार की ओर बढ़ रही है।
सीएसओ ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की विकास दर का आंकड़ा भी 6.3 प्रतिशत से संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। सीएसओ ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए विकास दर के अनुमान को भी संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। इससे पूर्व सीएसओ ने 31 जनवरी 2018 को विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान पेश किया था। हालांकि विकास दर का यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी की 7.1 प्रतिशत वृद्धि दर के मुकाबले कम है। विकास दर के आंकड़ों पर वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रफ्तार तेज होने से अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिले हैं।
जनवरी में बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर बढ़कर दोगुनी
बुनियादी क्षेत्र में वृद्धि दर के मोर्चे पर भी अच्छी खबर है। जनवरी में आठ बुनियादी क्षेत्रों में वृद्धि दर दोगुनी हो गई। इस दौरान वृद्धि दर बढ़कर 6.7 फीसद हो गई जबकि पिछले साल जनवरी में वृद्धि दर 3.4 फीसद है। पेट्रोलियम रिफाइनरी और सीमेंट क्षेत्र में जोरदार वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा स्टील, पावर और कोयला क्षेत्र में भी सुधार दिखाई दिया।