जबलपुर। आधार नंबर का अर्थ है कि संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी सरकार के पास है और संबंधित व्यक्ति अपनी पहचान नहीं छुपा सकता परंतु यहां ई-गवर्नेंस ने आधार की उपयोगिता ही खत्म करके रख दी। एक अज्ञात युवती के पास मिले आधार कार्ड के माध्यम से पुलिस युवती की पहचान करना चाहती थी परंतु ई-गवर्नेंस ने जानकारी देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने ई-गवर्नेंस को आदेशित किया फिर भी ई-गवर्नेंस अधिकारी ने जानकारी नहीं दी। अब कोर्ट ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ कंटेम्पट का नोटिस जारी किया है।
क्या है मामला
खमरिया क्षेत्र में झाड़ियों में 15 मार्च की सुबह युवती का रक्तरंजित शव मिला था। जिसकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है। पीएम रिपोर्ट के बाद इसमें हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था। इसके लिए खमरिया टीआई और क्राइम ब्रांच की टीमों ने गर्ल्स स्कूल, कॉलेज के हॉस्टलों, सीसीटीएनएस में गुमइंसान और मोबाइल सिम के विक्रेताओं से संपर्क कर शिनाख्त करने की कोशिश की थी। लेकिन इसके बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला, तो लगभग एक माह पहले आधार कार्ड के माध्यम से मृत युवती की पहचान करने की तैयारी की गई। इसके लिए ई-गवर्नेंस के जिला प्रबंधक चित्रांश त्रिपाठी से आधार के माध्यम से जांच करने को कहा गया था। लेकिन श्री त्रिपाठी ने आदेश लाने के लिए कहा।
न्यायालय ने दिया था आदेश
पुलिस ने मृत युवती की पहचान के लिए न्यायालय की शरण में पहुंची। न्यायालय ने ई-गवर्नेंस अधिकारी को आधार कार्ड के माध्यम से युवती की पहचान करने के लिए आदेश किया था। इस आदेश को मिले लगभग एक सप्ताह हो चुका है। लेकिन फिर भी कोई जांच नहीं की गई।
अधिकारी के खिलाफ लगाया कंटेम्पट
ई-गवर्नेंस के अधिकारी ने जब न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई नहीं की, तो फिर उन्होंने कंटेम्पट लगाया। इसमें न्यायालय ने आदेश का उल्लंघन करने पर जिला प्रबंधक श्री त्रिपाठी को नोटिस जारी किया है।