नई दिल्ली। यदि आपके पास पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी योजना DIGITAL INDIA के सेवा केंद्र या ऐसी किसी योजना के संदर्भ में व्यवसायिक साझेदारी के लिए प्रस्ताव आए तो कृपया सावधान। आप ठगी का शिकार हो सकते हैं। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठकर 5 जालसाज ऐसा ही कर रहे थे। उन्होंने DIGITAL FOUNDATION INDIA के नाम से ऑफिस खोला और यूपी बिहार की सैंकड़ों जनपद व ग्राम पंचायतों में डिजिटल इंडिया के सेवा केंद्र खोलने के नाम पर 11 हजार रुपए फीस हड़प ली। इस तरह यह करोड़ों की ठगी का मामला बन गया।
लोग क्यों फंस जाते थे इनके जाल में
जालसाज खुद की कंपनी डिजिटल फाउंडेशन इंडिया को केंद्र सरकार की योजना डिजिटल इंडिया से अधिकृत होने का दावा करते थे। लोगों को ग्राहक सेवा केंद्र खुलवाने का झांसा देते। उसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र बनाने के साथ ही मनी ट्रांसफर के लिए अधिकृत फ्रेंचआइजी देने की बात करते थे। मात्र 11 हजार रुपए में इतनी सारी सेवाओं के अधिकार पाने के लिए कोई भी तैयार हो जाए। एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि पकड़े गए जालसाजों में कुंडा केशवपुर निवासी शैलेश मिश्रा, लालगंज रघुवापुर का अतुल पांडेय, अजय मिश्रा, विपिन कुमार पांडेय और भवनपुर जेठवारा का आशीष मिश्रा है। सभी प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं।
कैसे करते थे ठगी
यह लोग कई महीनों से आशियाना में सीमा सिटी निवासी जाग्रति सिन्हा के यहां किराये पर रह रहे थे। यहीं तीसरे तल में ऑफिस चलाते थे। यह लोग भिन्न-भिन्न नंबरों से लखनऊ, जौनपुर, आजमगढ़, नोएडा समेत कई अन्य जनपदों एवं बिहार के लोगों को फोन कर बताते थे कि उनकी कंपनी केंद्र सरकार की योजना डिजिटल इंडिया से अधिकृत है। उनकी कंपनी के माध्यम से सभी जनपदों और गांवों में ग्राहक सेवा केंद्र खोले जा रहे हैं। यह केंद्र आधार कार्ड, पैन कार्ड, आय, जाति प्रमाणपत्र बनाने एवं मनी ट्रांसफर करने के लिए अधिकृत होंगे, इसका सर्टीफिकेट दिया जाएगा।
कितनी रकम हड़पते थे
इसके लिए जालसाज एक हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन, फिंगर प्रिंट मशीन देने के नाम पर 10 हजार रुपये लोगों से खाते में जमा करवाते थे। इसके बाद उनके रुपये हड़प लेते थे। अब मात्र 11 हजार रुपए के लिए कोई पुलिस के चक्कर तो नहीं काटता। कुछ दिन परेशान होकर वो इसे अपनी ही गलती या किस्मत मान लेता लेकिन गत दिनों जौनपुर निवासी एक व्यक्ति ने इसकी शिकायत की थी। इसके बाद मामले की पड़ताल की गई। गिरोह को पकड़ने के लिए एएसपी क्राइम डीके सिंह की टीम और आशियाना पुलिस समेत सर्विलांस और स्वाट टीम को लगाया गया। सभी की सम्मिलित टीम से आरोपितों की गिरफ्तारी की गई। गिरोह के फरार सदस्य राज पांडेय उर्फ आशीष की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
आरोपियों के दफ्तर से मिले ये सामान
पुलिस ने आरोपितों के दफ्तर से दो लैपटाप, पांच मॉनीटर, चार सीपीयू, 18 मोबाइल फोन, आठ की-बोर्ड, सात सिम कार्ड, चेक बुक, मोहर, हांडा सिटी कार, दो बाइक व अन्य सामान बरामद किया गया है।
पांच साल से चला रहे थे गिरोह, नोएडा से की थी शुरुआत
एएसपी क्राइम डीके सिंह ने बताया कि पांचों जालसाज वर्ष 2013 से लोगों के साथ ठगी कर रहे थे। सबसे पहले उन्होंने नौकरी फॉर जॉब्स के नाम से पोर्टल खोला। इसके जरिये नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ठगे। फिर शाइन टूडे के नाम से कंपनी खोली। नोएडा और दिल्ली में लोगों से जालसाजी करने के बाद वर्ष 2017 में लखनऊ आए। यहां उन्होंने डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के नाम से कंपनी खोली। गिरोह ने मार्च 2018 में कंपनी का रजिस्ट्रेशन एचटीजेई सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कराया।
बैंकों में खोल रखा था फर्जी खाता
एएसपी क्राइम के मुताबिक जालसाज बहुत ही शातिर थे। कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उन्होंने पुलिस और न्यायालय से बचने के लिए डमी डायरेक्टर बनाकर बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में फर्जी खाते खोल रखे थे, जिनमें वह लोगों से रुपये जमा कराते थे।
बीटेक और होटल मैनेजमेंट की पूरी कर चुके हैं पढ़ाई
क्राइम ब्रांच के दारोगा उदय प्रताप सिंह ने बताया कि गिरफ्तार जालसाजों में शैलेश ने भोपाल से बीटेक कर रखा है। वहीं, अतुल बीटीसी कर चुका है व अजय और विपिन स्नातक की पढ़ाई कर चुके हैं। आशीष बीएससी और होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर चुका है।