धर्म बदलकर मुसलमान बनी बेटी को भी हिंदू उत्तराधिकार कानून का लाभ: हाईकोर्ट | HINDU SUCCESSION ACT

Bhopal Samachar
मुंबई। औलाद के धर्म बदल लेने से उसका पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार खत्म नहीं हो सकता। धर्म बदलना पसंद का विषय है। इससे रिश्ते नहीं बदल सकते। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में यह बात स्पष्ट की है। अदालत ने कहा कि किसी हिंदू के धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लेने पर भी वह पिता की स्वअर्जित प्रॉपर्टी पाने का अधिकार रखता है, बशर्ते पिता ने मौत से पहले कोई वसीयत न की हो। न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर ने हिंदू भाई की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

दरअसल, भाई ने दावा किया था कि उसकी बहन ने अपना धर्म बदल लिया है। इसलिए उसका पिता की प्रॉपर्टी से अधिकार खत्म हो गया है। अब वह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता के खरीदे फ्लैट में अपना हिस्सा नहीं मांग सकती। इस पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति भाटकर ने कहा कि किसी धर्म विशेष को छोड़ना और किसी खास धर्म को अपनाना पसंद का विषय है। जबकि उत्तराधिकार का हक जन्म से मिलता है। इसलिए महज धर्म बदल लेने से किसी का रिश्ता और जन्म से मिला अधिकार समाप्त नहीं होता। लिहाजा हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल करनेवाली बहन पिता की प्रॉपर्टी में हिस्सा पाने की अधिकारी है। बशर्ते पिता ने मौत से पहले कोई वसीयत न की हो।

भाई के वकील ने दी ये दलील
मामले में भाई की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष झा ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून में धर्म बदलने वाले लोगों का समावेश नहीं किया गया है। इस कानून के दायरे में हिंदू, जैन, बुध्दिस्ट और सिख आते हैं। इस कानून में धर्मांतरण कर मुस्लिम बनने वाले, ईसाई और पारसी को समाहित नहीं किया गया है। उनके लिए अलग से कानून है। यदि मुस्लिमों को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत लाभ दिया गया तो उन्हें दो कानून से फायदा मिलेगा। बहन के वकील ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किल को पिता की प्रॉपर्टी के लिए अपात्र नहीं माना जा सकता।

ये भी कहा कोर्ट ने
दोनों पक्षों को सुनने और हाईकोर्ट के कई फैसलों समेत कानूनी प्रावधानों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि दुनिया में अधिकांश लोगों के लिए धर्म जीवन जीने का एक रास्ता है। हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्षता का भी जिक्र है। इसके साथ ही संविधान में धर्म को अपनाना नागरिकों का मौलिक अधिकार बताया गया है। इसलिए हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाली लड़की को पिता की प्रॉपर्टी के लिए अपात्र नहीं ठहराया जा सकता है।
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