महिला संविदा कर्मचारी ने शिवराज सरकार को सुप्रीम कोर्ट में हराया | EMPLOYEE NEWS

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार की ओर से दायर की गई स्पेशल लीव पिटीशन खारिज कर दी है। यह मामला सरकारी की काफी किरकिरी कराने वाला है। दरअसल सरकार ने मात्र 10 दिन की मैटरनिटी लीव लेने वाली एक महिला संविदा कर्मचारी को बर्खास्त रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह कदम उठाया। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की पिटीशन आनी ही नहीं चाहिए थी। कलेक्टर से लेकर हाईकोर्ट तक महिला कर्मचारी की बर्खास्तगी को गलत करार दे चुके थे, फिर भी राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी अहंकार की लड़ाई लड़ना चाहते थे। 

संविदा शिक्षक सुनीता डंडोलिया, मुरैना जिले के झुंडपुरा सबलगढ़ कस्बे में सहायक वार्डन की पोस्ट पर 13 जुलाई 2012 से कार्यरत थीं। दो साल पहले डिलीवरी होने पर उन्होंने मेटरनिटी लीव लिया था। 10 दिन बाद 16 मार्च 2016 को वह जॉब ज्वाइन करने पहुंची तो उनसे कह दिया गया कि अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए आपकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं। इसके बाद वे मुरैना कलेक्टर से मिलीं। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि सुनीता को ज्वाइन कराया जाए। डीपीसी ने फिर प्रोविजन का हवाला देते हुए बहाली करने से इंकार कर दिया। 

अब सुनीता अपनी अपील लेकर भोपाल पहुंचीं। यहां उन्होंने राज्य शिक्षा केंद्र से लेकर महिला आयोग तक में गुहार लगाई। सुनवाई नहीं हाेने पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की डिवीजनल बेंच में सुनीता के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद भी जिला शिक्षा केंद्र और राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों ने उसे नौकरी पर नहीं रखा।

सुनीता ने ग्वालियर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारियों ने शासन से पिछले साल 23 नवंबर को राय लेकर करीब चार महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। अदालत ने ऑर्डर देते हुए कहा है कि हमारे विचार में राज्य सरकार को ऐसी स्पेशल पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर ही नहीं करनी चाहिए थी। एमपी सरकार की स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) खारिज की जाती है। आगे से इस तरह की याचिकाएं दायर नहीं हों, इसके लिए फैसले की एक कॉपी राज्य के लॉ सेक्रेटरी के पास भेजें। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस उदय उमेश ललित की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। महिला की ओर से वकील राेहन जैन, आदर्श त्रिपाठी, गौरव ने पैरवी की। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !