भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों में में करीब ढाई लाख संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। सभी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह ने कहा है कि वो जल्द ही संविदा कर्मचारियों के संदर्भ में अच्छा फैसला लेंगे जबकि वित्तमंत्री जयंत मलैया का कहना है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रावधान ही नहीं है। इस बीच भोपालसमाचार.कॉम ने आॅनलाइन ओपिनियन पोल का आयोजन किया। नतीजा आया कि 86 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि संविदा कर्मचारियों को परमानेंट कर देना चाहिए जबकि 14 प्रतिशत का कहना है कि इन्हे नियमित करने की कोई जरूरत नहीं है।
क्यों आयोजित किया गया ओपीनियन पोल
पिछले 1 माह से संविदा कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। लाखों कर्मचारी हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य विभाग में तो कई सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गईं हैं। ई-गवर्नेंस की सभी सेवाएं ठप पड़ी हुईं हैं। एक दिन तो वीडियो कांफ्रेंसिंग ही नहीं हो पाई। प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री 2 भागों में बंट गए हैं। सीएम शिवराज सिंह सहित कई मंत्रियों का कहना है कि हड़ताली कर्मचारियों की मांग उचित है और इसे पूरा किया जाना चाहिए जबकि वित्तमंत्री जयंत मलैया सहित कई मंत्री व नेताओं का मानना है कि नियुक्ति के समय स्पष्ट बता दिया था कि नियमितीकरण नहीं होगा। अत: ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। लोकतंत्र में जनता की अदालत ही सबसे बड़ी अदालत मानी जाती है अत: भोपाल समाचार इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच गया और उनसे पूछा कि यदि फैसला उनके हाथ में होता तो वो क्या करते।
क्या नतीजे आए
86 प्रतिशत लोगों ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को परमानेंट कर देना चाहिए। उनकी मांग उचित हैं जबकि 14 प्रतिशत लोगों ने कर्मचारियों की मांग को अनुचित बताया और हड़ताल को कांग्रेस की प्रेरणा से भाजपा को बदनाम करने वाला कदम कहा। यह सवाल कुल 37728 लोगों से पूछा गया जिनमें से 5400 लोगों ने मतदान किया। आॅनलाइन पोल में यह काफी अच्छा वोट प्रतिशत है। मध्यप्रदेश में सामान्यत: वोट प्रतिशत 5 प्रतिशत रहता है। यह करीब 15 प्रतिशत है। 488 लोगों ने इस आयोजन को पसंद किया और 466 लोगों ने अपनी प्रतिकियाएं भी दर्ज कराईं।
ये ओपिनियन पोल फर्जी भी तो हो सकता है
भोपाल समाचार द्वारा आयोजित इस ओपिनियन पोल में किसी भी प्रकार की मिलावट की संभावना ही नहीं थी, क्योंकि इसका संचालक फेसबुक की तकनीक के माध्यम से किया गया। फेसबुक का सर्वर बिना किसी मानवीय नियंत्रण के काम करता है। इसमें छेड़छाड़ करना किसी भी यूजर के लिए संभव नहीं है। सबसे प्रमुख बात यह कि यह एक रेंडम ओपीनियन पोल था। अचानक शुरू किया गया और मात्र 24 घंटे में समाप्त कर दिया गया।
पढ़िए कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं जिन्हे सबसे ज्यादा लाइक मिले
Viral Dubey: सारे नियम कायदे इनके हिसाब से है जिसको मन हुआ नियमित कर दे चाहे वो उस लायक हो न हो। संविदा शिक्षक को रेगुलर कर दिया फिर पंचायत सचिव और अब सिंहस्थ में 3 महीने काम करने वाले होमगार्ड को लेकिन 15 से 20 साल सेवा देने वाले संविदा कर्मचारी नही दिखते इनको।
Vineeta Ayra: हां बिल्कुल होना चाहिए। आने वाली पीढ़ी संविदा का दर्द न झेले बल्कि संविदा शब्द ही खत्म होना चाहिए। जो भर्ती हो नियमित हो संविदा नही।
Baliram Sakhwar: संविदा भी एक भारतीय समाज में फेली जाति प्रथा बुराई की ही तरह है जेसै जातियों के चलते मानव मानव मे भेद किया जाता है वही स्थित आज संविदा वालो की है।