ईश्वर के अस्तित्व को चुनौती देने वाला 76 साल तक जिंदा रहा | INSPIRATIONAL STORY

21 साल की उम्र में उसे 'मोटर न्यूरॉन' नामक बीमारी हो गई थी। इस बीमारी से ग्रसित लोग अवसाद के कारण ही मर जाते हैं परंतु वो ना केवल जिंदा रहा बल्कि उसने कई अविष्कार भी किए और वो दुनिया का महान वैज्ञानिक बना। ये नाम है STEPHEN HAWKING, जो ब्रिटेन के मशहूर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर थे। 76 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। वो 55 साल तक अपनी बीमारी से नहीं जूझे बल्कि बीमारी को भुलाकर उन रहस्यों तक पहुंच गए जहां तक उनसे पहले कोई वैज्ञानिक नहीं पहुंच पाया था। पूरी तरह से स्वस्थ करोड़ों लोग इस आयुसीमा में ऐसी सफलताएं हासिल नहीं कर पाते। इस तरह की गंभीर बीमारियों में महान अविष्कारों की खोज का ऐसा कोई उदाहरण अब से पहले नहीं देखा गया। 

1974 में उन्होंने ब्लैक हॉल्स पर असाधारण रिसर्च करके दुनिया भर में अपना लोहा मनवा लिया था। अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की है। बीमारी से पहले वे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे लेकिन बीमारी के दौरान उन्हें लगने लगा कि वे लंबे समय तक जिंदा नहीं रहेंगे तो उन्होंने अपना सारा ध्याना रिसर्च पर लगा दिया। हॉकिन्स ने ब्लैक हॉल्स पर रिसर्च की।

ईश्वर के अस्तित्व को दी थी चुनौती
उनका मानना था कि ईश्वर ने ब्रह्मांड की रचना नहीं की। दी ग्रैंड डिजाइन नाम की किताब में उन्होंने लिखा था कि ब्रह्मांड की रचना अपने आप हुई। हॉकिंग ब्रह्मांड की रचना को एक स्वतः स्फूर्त घटना मानते थे। हालांकि, प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइजैक न्यूटन मानते थे कि इस सृष्टि का अवश्य ही कोई रचियता होगा, अन्यथा इतनी जटिल रचना पैदा नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा था कि ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण जैसी शक्ति की वजह से नई रचनाएं हो सकती हैं। इसके लिए ईश्वर जैसी किसी शक्ति की सहायता की जरूरत नहीं है। हॉकिंग ने एक रिसर्च के आधार पर तर्क दिया था कि हमारा सौरमंडल अनूठा नहीं है, बल्कि कई सूरज हैं जिनके चारों ओर ग्रह चक्कर काटते हैं वैसे ही जैसे पृथ्वी सूर्य का चक्कर काटती है।

ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम किताब ने उन्हें दुनियाभर में लोकप्रियता दिलाई थी। स्टीफन हॉकिन्स की महत्वपूर्ण किताबों में ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम, द ग्रांड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग शामिल है। ब्लैक होल और बिग बैंग जैसी खगोलीय घटनाओं पर उनके शोध ने दुनिया को समझने में अन्य वैज्ञानिकों को भी मदद की। 

उन्होंने एक बार कहा था- पिछले 49 सालों से मैं मरने का अनुमान लगा रहा हूं। मैं मौत से डरता नहीं हूं। मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है। उससे पहले मुझे बहुत सारे काम करने हैं। वे वे मोटर न्यूरॉन बीमारी से ग्रसित थे और चल-फिर नहीं सकते थे।

बच्चों को स्टीफन ने टिप्स देते हुए एक बार कहा था- पहली बात तो यह है कि हमेशा सितारों की ओर देखो न कि अपने पैरों की ओर। दूसरी बात कि कभी भी काम करना नहीं छोड़ो। स्टीफन ने कहा था- काम आपको जीने का एक मकसद देता है। बिना काम के जिंदगी खाली लगने लगती है। तीसरी बात यह कि अगर आप खुशकिस्मत हुए और जिंदगी में आपको आपका प्यार मिल गया तो कभी भी इसे अपनी जिंदगी से बाहर मत फेंकना।

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