भोपाल। आपको याद होगा 13 जनवरी को मप्र की शिवराज सिंह सरकार से संविलियन की मांग कर रहीं महिला अध्यापकों ने मुंडन कराया था। कुल 2 घंटे के इस विरोध प्रदर्शन के लिए भेल प्रबंधन ने महिला अध्यापकों से 1.44 लाख रुपए लिए थे। महिला अध्यापकों को अपने गहने गिरवी रखकर यह किराया चुकाना पड़ा था। (पढ़ें: शिल्पी शिवान ने चेन गिरवी रखकर चुकाया, प्रदर्शन स्थल का किराया), अब उसी भेल प्रबंधन ने विज्ञान मेले के लिए एक एनजीओ को दहशरा मैदान फ्री में दे दिया है। जबकि इस मेले का आयोजन व्यापार के लिए किया जा रहा है।
भेल दशहरा मैदान पर 9 फरवरी से विज्ञान मेला का आयोजन किया जा रहा है। आयोजक विज्ञान भारती नाम की एक एनजीओ है। कहा जाता है कि इस एनजीओ को आरएसएस का आशीर्वाद प्राप्त है। इसके साथ विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी विभाग भी आयोजक है। भेल प्रबंधन ने अपना दशहरा मैदान विज्ञान मेला लगाने के लिए निःशुल्क दिया है। इसके लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया। जबकि मेले में लगे स्टॉलों से एनजीओ द्वारा 60 हजार से 10 लाख रुपए तक वसूले जा रहे हैं। मैदान का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
नियमानुसार यदि मैदान का व्यवसायिक उपयोग किया जाता है तब भेल प्रबंधन प्रतिदिन 98 हजार रुपए मैदान का किराया लेता है। वहीं सांस्कृतिक व सामजिक कार्यक्रमों के लिए 48 हजार रुपए किराया है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए 24 हजार प्रतिदिन किराया है। यदि भेल प्रबंधन ने विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए निःशुल्क मैदान दिया है तो एनजीओ स्टॉल लगाने वालों से पैसों की वसूली क्यों कर रहा है?
नियमों को ताक पर रखकर दिया गया मैदान
विज्ञान को बढ़ावा देना अच्छी बात है। लेकिन, भेल प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर विज्ञान मेले के लिए निःशुल्क मैदान दिया है। इसमें खुलेआम लगने वाले स्टॉल से वसूली की जा रही है। महज तीन दिन के लिए जगह के हिसाब से 60 हजार से 10 लाख रुपए तक रुपए लिए जा रहे हैं। जबकि भेल प्रबंधन ने भेल मैदानों को किराए पर देने के सख्त नियम बनाए हैं। व्यवसायिक, सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों का अलग-अलग किराया है।
दीपक गुप्ता, युवा इंटक अध्यक्ष
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भेल ने स्टॉल लगाए, उसके किराए के एवज में दिया मैदान
भेल दशहरा मैदान पर 9 से 12 फरवरी तक लगे विज्ञान मेले में भेल के भी स्टॉल हैं। जिनका तीन दिन का किराया करीब 5 लाख रुपए हो रहा था। जो भेल ने मेले का आयोजन कराने वाले विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी विभाग मप्र व विज्ञान भारती एनजीओ को नहीं दिया है। इसी के एवज में भेल दशहरा मैदान विज्ञान मेले के लिए निःशुल्क दिया गया। नियमों को कतई अनदेखा नहीं किया है।
विनोदानंद झा, भेल पीआरओ
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मेले में कई निःशुल्क स्टॉल भी लगवाएं हैं
मेले में भेल के स्टॉल भी लगे हैं। जिनसे किराया नहीं लिया गया। इसी सहमति से भेल प्रबंधन ने निःशुल्क मैदान दिया। सिर्फ विज्ञान को बढ़ावा देने व लोगों को विज्ञान के बारे में बताने के उद्देश्य से मेला लगाया गया है। कुछ आदिवासी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क स्टॉल भी लगवाए हैं। ऐसी कंपनी जो मेले में अपनी ब्रांडिंग कर रही हैं, उनसे स्टॉल लगाने का पैसा लिया है। क्योंकि मेला आयोजन के लिए लगाए गए टेंट व अन्य व्यवस्थाओं में पैसे खर्च होते हैं। एनजीओ के आय-व्यय का ऑडिट होता है। हम कोई गलत नहीं कर रहे।
सुमित पांडे, प्रदेश समन्वयक, विज्ञान भारती