नई दिल्ली। अब तो इन्हे चौराहे पर खड़ा करके पूछ ही लिया जाना चाहिए कि आखिर चाहते क्या हो। उत्तरप्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार है। यूपी के कासगंज में हिंसा हुई, कहने की जरूरत नहीं कि सरकार जिम्मेदार है। फिर भी जनता से माफी मांगने और खुद को दुरुस्त करने के बजाए देश भर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इनकी बेलगाम भीड़ देखिए कि शाहजहांपुर में कासगंज हिंसा के विरोध में रैली निकाली और बेतुकी बात पर भड़क उठे और शाहजहांपुर हिंसा की शुरूआत हो गई।
क्या हुआ घटनाक्रम
कासगंज हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद के बैनर तले तिलहर में तिरंगा यात्रा निकाली जा रही थी। यात्रा में आरएसएस में आस्था रखने वाले सभी संगठनों के कार्यकर्ता थे। इसी दौरान रैली के रास्ते में 2 युवक आपस में झगड़ा करते मिले। कानों में बारूद लिए घूम रहे नेताओं ने दोनों के बीच विवाद का कारण जानने की कोशिश तक नहीं की। अफवाह फैला दी गई कि तिरंगा यात्रा पर दूसरे लोगों ने हमला कर दिया। देखते ही देखते भीड़ जमा होने लगी। ईंद का जवाब पत्थर से देने की तैयारी कर ली गई। अब तक शाहजहांपुर जल चुका होता यदि पुलिस एक्टिव नहीं होती। पुलिस अधिकारियों ने सूझबूझ का परिचय दिया और सारे फसाद से पर्दा उठा दिया। जब सच्चाई पता चली तो हाथों में पत्थर उठाने वाले शर्मिंदा हुए या नहीं लेकिन आम नागरिक जरूर नाराज हो गया।
तो फिर सच्चाई क्या थी
पुलिस ने समय रहते सक्रियता का परिचय दिया। तत्काल उन दोनों युवकों को पकड़ा गया जो सड़क पर झगड़ा कर रहे थे। पूछताछ की तो पता चला कि दोनों के बीच उधारी को लेकर विवाद था। उन्हे मालूम ही नहीं था कि कासंगज में क्या हुआ और यहां रैली क्यों निकल रही है। पुलिस ने सारा खुलासा दोनों पक्ष के नेताओं के सामने किया और शाहजहांपुर को बर्बाद होने से बचा लिया। एसपी कृष्ण बहादुर सिंह, एडीएम एफआर एवं एएसपी ग्रामीण सुभाष शाक्य की भूमिका सराहनीय रही।