
आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों को फीस के भुगतान मामले में बड़ी गड़बड़ी होना सामने आया है। मामले में डीपीसी कार्यालय से राजधानी के प्राइवेट स्कूलों को आरटीई की 19.5 करोड़ रुपए फीस का भुगतान किया गया। इसमें बिना प्राचार्यों की सत्यापन के स्कूलों को फीस का भुगतान कर दिया। कुछ प्राचार्यों के सत्यापन के बाद भी स्कूलों को फीस का ज्यादा भुगतान किया गया।
यह है मामला
भोपाल जिले में मान्यता प्राप्त 1209 प्राइवेट स्कूल है। इनमें से 164 सीबीएसई स्कूल ऐसे हैं, जिन्हे प्रति छात्र 4209 रुपए भुगतान किया गया जबकि इन स्कूलों में सामान्य छात्रों की फीस इससे आधी के बराबर है। 594 ऐसे स्कूल है, जिनकी वास्तविक वार्षिक फीस 1500 से 2000 तक है। इन स्कूलों को 6 हजार रुपए प्रति छात्र की दर से भुगतान किया गया। सारा खेल टेंडर की तरह चला। स्कूलों ने मनमानी रकम क्लैम की, फिर डीपीसी ने मोलभाव किया और पेमेंट कर दिया। कागज में दिखाया गया कि डीपीसी ने सरकार के पैसे बचा लिए जबकि भुगतान की गई रकम, वास्तविक फीस से बहुत ज्यादा थी।
रिकाॅर्ड को दुरुस्त करने में लगे डीपीसी
डीपीसी कार्यालय में मंगलवार को गहमागहमी का माहौल रहा। डीपीसी व उनके साथ एक एपीसी फर्जी फीस के भुगतान के मामले में रिकाॅर्ड को दुरुस्त करने में लगे रहे। यह भी सामने आया कि शासन की त्वरित जांच नहीं करवाने से कई साक्ष्यों को डीपीसी द्वारा नष्ट भी किया जा रहा है।