
हिंदू संगम के माध्यम से दलित और आदिवासियों को जोड़ने का काम संघ अर्से से करता आ रहा है। इससे पहले वह झाबुआ, बैतूल और मंडला में भी इसी तरह के आयोजन कर चुका है। हिंदू संगम में संघ और उसके नेताओं का मूल फोकस आदिवासी और दलित वर्ग के लोगों पर होता है। इस बार 18 फरवरी को होने वाले हिंदू संगम में संघ ने दो लाख लोगों को जमा करने का लक्ष्य रखा है। यहां सामाजिक समरसता को लेकर संघ के नारे एक मंदिर, एक श्मशान और एक जलस्थान का नारा बुलंद किया जाएगा। सम्मेलन में पूरे प्रदेश से लोगों को ले जाने के लिए भाजपा नेताओं को अभी से जिम्मेवारी दी जा रही है। इसे लेकर एक बैठक भी श्योपुर में हो चुकी है।
BSP की ताकत कम करने पर फोकस
ग्वालियर-चंबल में अर्से से बसपा का प्रभाव रहा है। बसपा यहां से सीटे भले ही कम जीत पाए पर दलित-आदिवासी वोटों पर उसकी गहरी पकड़ है। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा दिमनी और अम्बाह सीट पर जीती थी तो सुमावली, भिंड और श्योपुर में उसके प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके अलावा इलाके की आधा दर्जन सीटों पर उसके उम्मीदवारों को खासे मत मिलने से भाजपा का राजनीतिक गणित गड़बड़ा गया था।
34 संगठन जुटे तैयारियों में
हिंदू संगम के लिए संघ ने अपने सभी 34 अनुषांगिक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों को काम पर लगा दिया है। सूत्रों की माने तो 26 जनवरी के बाद इन संगठनों के नेताओं की भाजपा नेताओं के साथ बैठक होगी। इसमें चुनावी साल में होने वाले इस आयोजन के एजेन्डे को अंतिम रूप दिया जाएगा।