
कांग्रेस अब भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके तहत बसपा के ग्वालियर-चंबल और रीवा संभाग में प्रभाव वाली विधानसभा सीटों पर भी नेता भाजपा प्रत्याशियों को हराने को लेकर चिंतित हैं। कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण ग्वालियर, चंबल और रीवा संभाग की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों को नुकसान झेलना पड़ता है। हाल ही में 2017 के भिंड और सतना जिलों के दो उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी के नहीं खड़े होने पर कांग्रेस ने भाजपा को मात भी दी है।
दर्जनभर जिलों में दबदबा
पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है। मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्न्ा, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है। जिन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की वहां 0.35 फीसदी से लेकर करीब 11 फीसदी वोटों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों को शिकस्त दी है।
चर्चा अवश्य की जाना चाहिए
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बातचीत में यह स्वीकार किया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए बसपा से बातचीत की जाना चाहिए। चर्चा से दोनों दलों को फायदा होगा। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ बातचीत की जा सकती है। बसपा का जिन सीटों पर प्रभाव है, उनको लेकर दोनों पक्षों की चर्चा होना चाहिए।