
मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन ने जांच रिपोर्ट के आधार पर इन दवाओं को उपयोग रोकने के लिये सभी मेडिकल कालेजों के डिन एवं सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। इस खुलासे के बाद जाहिर होता है कि मरीजों को काफी तादाद में अमानक दवायें वितरित कर दी गई है अब उन्हें दवाओं के दुष्प्रभाव भुगतने होगें। दवा में पाउडर की कम हो, दवा का रंग बदल गया हो, दवा फुट रही हो, दवा मिस ब्राण्डेड हो, दवा के लेबल पर आवश्यक जानकारी दशाई ना गई हो, ऐसी दवायें अमानक की श्रेणी में आती है।
जो दवायें अमानक पाई गई है उनमेंः-
ओफलाक्सासिन-200 एमजी और टिंडाजोल-600 (बेच नंबर आईटी 1701 निर्माण तिथि मार्च 2017, एक्सपायरी फरवरी 2019)
ट्राईमेथाप्रिम-20एमजी एवं सल्फामेथाक्सीजोल-100 एमजी(बेच नंबर आइटी 1602, निर्माण तिथि मार्च 2016,एक्सपायरी डेट फरवरी 2018)
ट्राईमेथाप्रिम-40एमजी एवं सल्फामेथाक्सीजोल-400 एमजी(बेच नंबर आइटी 3701, निर्माण तिथि जनवरी 2017, एक्सपायरी डेट दिसम्बर 2018)
विपिन श्रीवास्तव मुख्य महाप्रबंधक मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ कारपोरेशन के अनुसार दवा वितरित किये जाने के पहले उनकी 2 बार नेशनल एग्रीडिटेशन बोर्ड फॉर लेबोरेट्रीज लेब से जांच की जाती है। इसके बाद भी गुणवत्ता जांच के लिये दवाओं के सेम्पल स्टेट ड्रग लेब में भेजे जाते है यहां दवाओं की जांच में विलम्ब होता है।