
25 लाख मरीजों को मिलेगा फायदा
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हेल्थ मिनिस्ट्री के सीनियर अफसर ने बताया कि जल्द ही देश के 25 लाख टीबी मरीजों को हर महीने 500 रुपए की मदद दी जाएगी। सोशल सपोर्ट के लिहाज से योजना में सभी इनकम ग्रुप के मरीजों को शामिल करने का प्रपोजल तैयार पास हुआ। मरीजों को आधार और मेडिकल डॉक्युमेंट्स के हिसाब से मदद मिलेगी। नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत हेल्थ मिनिस्ट्री ने 2025 तक देश को 90% और अलगे 5 सालों में 95% टीबी मुक्त बनाने का टारगेट रखा है। ये योजना उसी का हिस्सा है।
कैसी है TB के इलाज की नई पॉलिसी?
मिनिस्ट्री ने टीबी के इलाज को लेकर नई पॉलिसी बनाई है। इसके तहत मरीजों के लिए दवाओं का एक फिक्स कॉम्बीनेशन तैयार किया गया है। इसकी एक ही गोली में 3-4 दवाएं मौजूद होंगी, जिसे रोजाना खाना पड़ेगा।
टीबी से पीड़िच बच्चों को अब कड़वी दवाओं को डोज नहीं लेना पड़ेगा। उनके लिए भी फ्लेवर वाली गोलियां तैयार की गई हैं। जो मुंह में डालते ही आसानी से घुस भी जाएंगी।
अभी कैसे होता है टीबी का इलाज?
बता दें कि 1997 में बने टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मरीजों को अभी तीन-चार गोलियां हफ्ते में 3 बार खानी पड़ती हैं। इनका डोज मरीज का वजन देखकर तय किया जाता है। बच्चों को भी यही कड़वी दवाएं लेनी पड़ती हैं लेकिन अब नई दवा का कॉम्बीनेशन सभी अडल्ट्स के लिए एक जैसा होगा। हैवी डोज की जगह रोजाना एक गोली खाने से मरीजों के अंदर ड्रग रेजिसटेंस और गंभीर जटिलताएं कम होगीं।
एक साल में कितना घटा आंकड़ा?
हेल्थ मिनिस्ट्री के आंकड़ों की मानें तो 2015 में देश की 1 लाख आबादी पर 217 लोग टीबी की चपेट में आते थे, वहीं सरकार की नीतियों से 2016 में यह आंकड़ा घटकर 211 रह गया।
क्या कहती है WHO की रिपोर्ट?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल 28 लाख लोग टीबी का शिकार होते हैं। इनमें से 17 लाख केस ही सामने आते हैं, जिन्हें इलाज मिल पाता है। डब्ल्यूएचओ ने 2010 में टीबी की रोकथाम के लिए बनाए अपने प्लान में मरीजों को रोजाना दवाएं दी जाने की बात कही थी।