
लग्न का स्वामी गुरु तुला राशि में लाभ भाव में स्थित है पंचम यानी विद्या, बुद्धि स्थान का स्वामी मंगल स्वग्रही होकर पंचम स्थान में गुरु की पूर्ण दृष्टि में है, स्वामी जी प्रखर तेजस्वि आत्मा थे। वे एक बार जिस चीज़ को पढ़ लेते थे वो उन्हे हमेशा याद रहता था।
द्वितीय अर्थात वाणी स्थान में बुध और शुक्र विद्यमान है वही वाणी स्थान का स्वामी शनिचंद्र के साथ राज्यस्थान में स्थित है वाणी स्थान का स्वामी राज्य में राज्य का स्वामी वाणी स्थान में है, दोनों स्थान में राशि परिवर्तन हुआ है। जिससे उनकी वाणी आज भी अमर है, व्यय भाव में राहु तथा दशम स्थान में शनि ने उन्हे वैराग्य दिया, उनके विचारों की आज पूरे विश्व को आवश्यकता है, उनकी जन्मतिथि पर उन्हे शत-शत वंदना।
*प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
9893280184,7000460931